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• हम अपने बच्चों और परिवार के सदस्यों से बहुत प्रेम करते हैं, लेकिन क्या प्रेम के असली मायने हमें पता हैं? और अगर पता हैं तो हमारा प्रेम उनको जीवन में पंख दे रहा है या जड़?
• माता-पिता जिस विचारधारा और विश्वास के साथ जी रहे हैं, जब उससे खुद ही खुश नहीं हैं तो वे क्या बच्चों को सही दिशा दे पाएँगे?
• आपकी नजर में सफलता के मापदंड क्या हैं?
• विज्ञान, धर्म, पश्चिम संस्कृति के बीच भ्रमित होकर बच्चे कहीं अंदर-ही-अंदर घुट तो नहीं रहे हैं?
• जीवन क्या है? जीवन का असली मकसद या उद्देश्य क्या है?
• एक ही माँ के बच्चों में पैदा होते ही इतनी विभिन्नताएँ क्यों होती हैं?
बालमन का सूक्ष्म अध्ययन कर उनके चहुँमुखी विकास के लिए एक आवश्यक हैंडबुक है यह पुस्तक, जो बच्चों के संपूर्ण विकास का पथ प्रशस्त करने और माता-पिता के साथ उनकी भावनात्मकता को बल देने का काम करेगी।
2018 में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित अशोक चौधरी का जन्म 12 मार्च, 1983 को राजस्थान के टोंक जिले के छोटे से गाँव दहलोद में हुआ। राजस्थान को सत्तर वर्षों के इतिहास में पहली बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिलानेवाले वे पहले फिल्म-निर्माता हैं। इसके अलावा वे लेखक, उद्यमी, मोटिवेशनल स्पीकर व सोशल ऐक्टिविस्ट भी हैं।
वे अठारह साल की कम उम्र में ही घर से दूर मुंबई चले गए और वहाँ नौकरी से अपनी यात्रा की शुरुआत की। आज वे शिवाजा ग्रुप के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर हैं, जिसमें टाइल्स व फिल्म्स का व्यवसाय करते हैं। वे ‘द मिशन पॉजिटिव वर्ल्ड ट्रस्ट’ के संस्थापक हैं, जो देश भर में पेरेंटिंग, हैप्पी मैरिज लाइफ, लीडरशिप, एनएलपी आदि विषयों पर सेमिनार करता है। वे आर्ट ऑफ लिविंग, स्वदेशी, किसान संघ, लायंस क्लब जैसी विश्वव्यापी संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं। 2020-21 में शिवाजा ग्रुप तीन हिंदी बॉलीवुड फिल्म्स लेकर आ रहा है, जो मेक इन इंडिया, महिला सशक्तीकरण, समाज व देशहित में हैं। उनका सपना है ‘ऐसे समाज का निर्माण करना, जो प्रेम, शांति, एकता, सफलता, स्वास्थ्य व खुशी से भरा-पूरा हो।’
रीनाजी अशोकजी की धर्मपत्नी व गृहिणी हैं। वह दो बच्चों की परवरिश के साथ-साथ अशोकजी के सभी सामाजिक कार्यों में सहयोगी हैं। इस पुस्तक में उनका खूब सहयोग रहा है।
2018 में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित अशोक चौधरी का जन्म 12 मार्च, 1983 को राजस्थान के टोंक जिले के छोटे से गाँव दहलोद में हुआ। राजस्थान को सत्तर वर्षों के इतिहास में पहली बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिलानेवाले वे पहले फिल्म-निर्माता हैं। इसके अलावा वे लेखक, उद्यमी, मोटिवेशनल स्पीकर व सोशल ऐक्टिविस्ट भी हैं।
वे अठारह साल की कम उम्र में ही घर से दूर मुंबई चले गए और वहाँ नौकरी से अपनी यात्रा की शुरुआत की। आज वे शिवाजा ग्रुप के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर हैं, जिसमें टाइल्स व फिल्म्स का व्यवसाय करते हैं। वे ‘द मिशन पॉजिटिव वर्ल्ड ट्रस्ट’ के संस्थापक हैं, जो देश भर में पेरेंटिंग, हैप्पी मैरिज लाइफ, लीडरशिप, एनएलपी आदि विषयों पर सेमिनार करता है। वे आर्ट ऑफ लिविंग, स्वदेशी, किसान संघ, लायंस क्लब जैसी विश्वव्यापी संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं। 2020-21 में शिवाजा ग्रुप तीन हिंदी बॉलीवुड फिल्म्स लेकर आ रहा है, जो मेक इन इंडिया, महिला सशक्तीकरण, समाज व देशहित में हैं। उनका सपना है ‘ऐसे समाज का निर्माण करना, जो प्रेम, शांति, एकता, सफलता, स्वास्थ्य व खुशी से भरा-पूरा हो।’
रीनाजी अशोकजी की धर्मपत्नी व गृहिणी हैं। वह दो बच्चों की परवरिश के साथ-साथ अशोकजी के सभी सामाजिक कार्यों में सहयोगी हैं। इस पुस्तक में उनका खूब सहयोग रहा है।