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संबंधों को हम किस प्रकार को निभाते हैं, इस विषय को गहराई से व्यक्त करती है यह पुस्तक। क्या हम उनके प्रति मददगार और उदार हैं या स्वार्थवश केवल लाभ उठाते हैं? किस प्रकार हम अपने संबंधों में संतुष्ट और परिणामदर्शी बन सकते हैं? क्या होता है, जब बातें हमारे मुताबिक नहीं होतीं या समस्याओं से हमारा सामना होता है?
जैसे ही मैंने जीवन और संबंधों के प्रति इस पद्धति का अभ्यास किया तो मैंने महसूस किया कि अब मैं दूसरों को कम दोषी ठहराती थी और अपनी प्रतिक्रियाओं व भावनाओं को और भी कारगर तरीके से सँभाल पाती थी। ऐसा करने से छोटी उम्र से ही एक आत्मविश्वास और आंतरिक ज्ञान की भावना पैदा हुई।
यह पुस्तक किसी भी प्रकार से निश्चित मार्ग-प्रदर्शक नहीं है; बल्कि यह मेरे कुछ विचारों, अवलोकनों और अनुभवों का संकलन है, जो मेरी व्यक्तिगत यात्रा में एकत्र हुए हैं। संभवतः इनमें से कुछ आपको अपने जीवन से संबंधित प्रतीत होंगे।
अरुणा सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें पूर्वी और पश्चिमी सभ्यताओं का मेल देखने को मिला। इनका जन्म नाकूरू, केन्या में हुआ, लंदन में पढ़ाई की और कैनेडा में नौकरी की और संसार के विभिन्न भागों में रही हैं तथा नियमित रूप से भारत आती रहती हैं।
बहुत छोटी उम्र में ही अरुणा के समक्ष आध्यात्मिक सच्चाइयाँ उजागर हुईं। असल में आठ साल की कोमल आयु में ही उन्हें मेडिटेशन का प्रथम अनुभव हुआ। चौदह साल की होने तक उन्हें स्पष्ट हो गया कि उन्हें क्या करना है और निर्णय लिया उस बात पर ध्यान देने का, जो सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है—अपना आध्यात्मिक विकास। पिछले 36 वर्षों से अरुणा ब्रह्माकुमारीज आध्यात्मिक विश्वविद्यालय द्वारा सिखाई जानेवाली राजयोग मेडिटेशन की कला सीख रही हैं। वर्तमान समय में इनकी सबसे अनुभवी शिक्षिकाओं में से एक हैं, जो विश्वविद्यालय की गतिविधियों का प्रचार करने हेतु नियमित रूप से यात्रा करती रहती हैं। रिट्रीट का आयोजन, परियोजनाओं का प्रबंधन, शिक्षण और मानव संसाधनों के विकास और साप्ताहिक लेख लिखने जैसे श्रेष्ठ कार्यों में व्यस्त रहती हैं।
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