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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से भारत की बागडोर सँभाली है, तब से पूरे देश में इस बात की चर्चा है कि उनके आने के बाद देश में क्या बदलाव आया है? शासन-प्रशासन में कितना परिवर्तन देखने को मिल रहा है तथा लोगों की मानसिकता में किस तरह का बदलाव देखने को मिल रहा है? यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उनकी सरकार का ईमानदारी एवं निष्पक्षता के साथ विश्लेषण किया जाए तो निस्संदेह यह कहा जा सकता है कि पूरे देश में एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण हुआ है।
प्रधानमंत्री ने देशवासियों में भरोसा जगाया है। अब लोगों को लगने लगा है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्र विश्वगुरु का दर्जा पुनः प्राप्त कर सकता है। जितनी भी जन-कल्याणकारी योजनाएँ लागू हो रही हैं, वे जाति-धर्म एवं क्षेत्रीयता की भावनाओं से ऊपर उठकर ‘सबका साथ, सबका विकास’ के लिए संकल्पित हैं।
सशक्त-सबल-समर्थ भारत का स्वप्न साकार करने को संकल्पित शासन-प्रणाली का व्यावहारिक स्वरूप प्रस्तुत करती एक पठनीय पुस्तक।
‘‘पहले हमारी पार्टी का चुनाव चिह्न Coloured था, फिर हमारे 11 अशोक रोड मुख्यालय के सचिव अरुण जैन, जो इंजीनियर हैं, वो भी नया-नया अच्छा सोचते हैं, उन्होंने मुझे सुझाया कि हमें Colour Symbol से बाहर आना चाहिए। हमारा चुनाव चिह्न सिंपल ब्लैक एवं व्हाइट होना चाहिए। हमने चुनाव आयोग को लिखा और उन्होंने मान्यता दी। एक बात तो ये है और इसका Credit देना है तो मैं इसका सारा श्रेय अरुण जैन को दूँगा।’’
—नरेंद्र मोदी
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अनुक्रम
1. प्रधानमंत्री सिर्फ शासक ही नहीं, अभिभावक और समाज सुधारक भी — 7
2. मोदी कुछ भी नहीं, पर सबकुछ — 14
3. सशक्त संगठन के लिए संवाद से विमुखता हानिकारक — 20
4. ब्यूरोक्रेसी की नजर में नरेंद्र मोदी आँखों का तारा भी, काँटा भी — 27
5. अति उपभोक्तावाद अस्वस्थता की ओर समाज — 33
6. केंद्र सरकार को पूरी तरह खुलकर कार्य करने की आवश्यकता — 39
7. दिल्ली विधानसभा चुनाव ‘आप’ की सफलता या ‘भाजपा’ की विफलता? — 45
8. विपक्ष की राजनीति सिर्फ विरोध के लिए, विरोध राष्ट्रहित में ठीक नहीं — 51
9. विरोध के लिए विरोध करना कितना उचित, कितना अनुचित राष्ट्रहित में या स्वहित में — 57
10. नीयत या नियति — 60
11. राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री एक गाड़ी के दो पहिए — 65
12. ऑनलाइन मार्केटिंग के दौर में ठगे न रह जाएँ मजदूर एवं कारीगर — 69
13. डॉ. कलाम: एक पुण्य आत्मा — 75
14. नीतीश-लालू की एकजुटता बेमानी — 81
15. सिकुड़ता आतंकवाद — 86
16. भारतीय मुसलमान नहीं बनेगा विश्व के कट्टरपंथी मुसलमानों की कठपुतली — 93
17. संस्कारहीन राजनीति देश के लिए घातक — 99
18. पंडित दीनदयालजी का एकात्म मानववाद दर्शन — 106
19. राष्ट्रहित सर्वोपरि: समय की माँग — 114
20. संकल्प में शक्ति सच दिखने लगा है — 126
21. कार्य बोलता है, खुद नहीं दिखते — 131
22. उपलब्धियों के आईने में मोदी सरकार विपक्षी दलों की छटपटाहट एवं झुँझलाहट — 138
इंजीनियर अरुण कुमार जैन का जन्म 17 अक्तूबर, 1951 को दिल्ली में हुआ। बाल्यकाल से ही उन्हें अपने समाजधर्मी पिता स्व. श्री प्रकाशचंद जैन से संस्कार और विचार मिले, जिनसे राष्ट्रवाद और राष्ट्रहित के भाव जाग्रत् हुए। दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इंजीनियर अरुणजी अपने आस-पास के परिवेश और परिस्थितियों का बहुत गइराई और सूक्ष्मता से अध्ययन कर अपनी अंतर्दृष्टि विकसित करते हैं और आत्मविकास की ओर प्रवृत्त होते हैं। सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक क्षेत्रों में निस्स्वार्थ सक्रिय भूमिका के लिए उनकी विशिष्ट पहचान, सम्मान और आदर है। उनकी कार्ययोजना में दूरदृष्टि है और सफल कार्यान्यवन की व्यावहारिक कार्यपद्धति भी। उनके स्पष्ट विचारों और सहज प्रवाहमय भाषा में लिखे लेख निरंतर पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं।
आजकल आप ‘रामजन्म भूमि न्यास’ के ट्रस्टी हैं और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय में कार्यालय मंत्री के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।