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"हे मेरी स्मृति के आलोक ! पृथक कर दे मुझे
इस मायावी संसार से खींच ले माया मेरी काया से
जब्त कर ले गुलाबी-सौरभ और पाट दे जीवन-बाग को
उसी कँटीली नागफनी से जो बाग में नहीं
सुदूर रेगिस्तानों में उगती है और जिनके शोले में तिरोहित पुष्प
रेगिस्तानी काफिले को क्षण भर में नाचती मरीचिका से बाहर कर सके |
— इसी संग्रह से"
रविन्द्र कुमार—बिहार के जिला बेगुसराय के एक छोटे से गाँव में जनमे रविन्द्र कुमार ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही प्राप्त की तत्पश्चात् नवोदय विद्यालय, बेगुसराय में प्रवेश लिया। आगे की शिक्षा के लिए राँची गए व आई.आई.टी. प्रवेश परीक्षा में चयनित हुए। इन्होंने मर्चेंट नेवी में प्रशिक्षण प्राप्त किया और शिपिंग क्षेत्र में सेवाएँ दीं। जहाज की नौकरी छोड़ आई.ए.एस. अधिकारी बने।
रविन्द्र कुमार भारत के प्रथम व एकमात्र ऐसे आई.ए.एस. अधिकारी हैं, जिन्होंने दो बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की।
रविन्द्र कुमार ने सिक्किम, उत्तर प्रदेश तथा केंद्र सरकार में सेवाएँ दीं वर्तमान में झाँसी के जिलाधिकारी हैं।
रविन्द्र कुमार एक आशुकवि व लेखक भी हैं। अब तक इनकी सात कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्हें इनकी कृति ‘एवरेस्ट : सपनों की उड़ान—सिफर से शिखर तक’ के लिए वर्ष 2020 में ‘अमृतलाल नागर पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। इनके जीवन पर एक उपन्यास ‘सपनों का सारथी’ भी लिखा गया है।
इ-मेल : ravindra.everest@gmail.com
वेबसाइट : www.shriravindrakumar.com