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कहानियाँ भी शायद हम इनसानी जीवन की तरह हैं। बहुत-कुछ बोल देना चाहती हैं। बस हमें उन्हें सुनने, गढ़ने और महसूस करने की क्षमता होनी चाहिए। कहानी-लेखन का साफल्य तब है, जब पात्र सजीव होकर पाठक से बातचीत करना चाहते हैं। कुछ पात्र आनंदित करते हैं, तो कुछ अंदर तक बहुत गहरे झकझोर देते हैं। कहानियाँ कितनी बार बहुत-कुछ सीख देकर चली जाती हैं और हम विस्मित-से खड़े रह जाते हैं।
कभी-कभी ऐसा प्रतीत होता है, मानो कितने स्वप्न ऐसे ही टूट जाते हैं। उन टूटते हुए स्वप्नों की पुकार, मानो सजीव होकर अनेक कहानियों का केंद्रबिंदु बन जाती हैं। नीर नैन में भटका कहानियों का सृजन करना, एक बेहद संवेदनशील प्रक्रिया है, जिससे हर बार गुजरना अंतःस्थल को परम सृजनकर्ता से जोड़ देता है।
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अनुक्रम
भूमिका —Pgs. 7
1. तीज —Pgs. 11
2. मोल —Pgs. 20
3. परिचय —Pgs. 26
4. प्रतिशोध —Pgs. 34
5. प्रोफेशनल —Pgs. 45
6. तलाश —Pgs. 52
7. सफर —Pgs. 60
8. हँसी —Pgs. 72
9. वो सात दिन —Pgs. 80
10. तिजारत —Pgs. 86
11. मकान —Pgs. 92
12. परछाईं —Pgs. 99
13. हाॅर्न —Pgs. 104
14. दोराहा —Pgs. 108
15. साँसें —Pgs. 113
16. अंतिम इच्छा —Pgs. 124
17. संघर्ष —Pgs. 140
ममता मेहरोत्रा
शिक्षा : एम.एस-सी. (प्राणी विज्ञान)।
कृतित्व : ‘अपना घर’, ‘सफर’, ‘धुआँ-धुआँ है जिंदगी’ (लघुकथा-संग्रह), ‘महिला अधिकार और मानव अधिकार’, ‘शिक्षा के साथ प्रयोग’, ‘विद्यार्थियों के लिए टाइम मैनेजमेंट’, ‘विश्वासघात तथा अन्य कहानियाँ’, ‘जयप्रकाश तुम लौट आओ’ तथा अंग्रेजी में ‘We Women’, ‘Gender Inequality in India’, ‘Crimes Against Women in India’, ‘Relationship & Other Stories’ & ‘School Time Jokes’ पुस्तकें प्रकाशित। RTE Act पर लिखी पुस्तक ‘शिक्षा का अधिकार’ काफी प्रसिद्ध हुई और अनेक राज्य सरकारों ने इस पुस्तक को क्रय किया है। उनकी पुस्तकें मैथिली में भी प्रकाशित हो चुकी हैं। कुछ संक्षिप्त डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का भी निर्माण किया है।
‘सामयिक परिवेश’ एवं ‘खबर पालिका’ पत्रिकाओं का संपादन। अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं से संबद्ध।
संप्रति : निशक्त बाल शिक्षा एवं महिला अधिकारों से संबंधित कार्यों में संलग्न।