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डॉ बाबासाहब आंबेडकर एक राष्ट्रीय नेता थे। उन्हें मात्र दलित नेता कहना, उनकी विद्वत्ता, जन-आंदोलनों, सरकार में उनकी भूमिका के साथ न्याय नहीं होगा। युगों पुरानी जाति आधारित अन्यायपूर्ण और भेदभावकारी समाज में सामाजिक समानता और सांस्कृतिक एकता के जरिए लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने का उनका व्यापक दृष्टिकोण जगजाहिर है। मानवाधिकारों के राष्ट्रवादी और साहसी नेता के रूप में उनके भाषणों में आधुनिक भारत की सामाजिक चेतना को जगाने के लिए उनके जीवन-पर्यंत समर्पण की झलक मिलती है।
डॉ. भीमराव आंबेडकर एक प्रखर विचारक और दूरद्रष्टा थे। उन्होंने समय-समय पर न केवल विधि, संविधान, सामाजिक न्याय, अस्पृश्यता-उन्मूलन आदि विषयों पर विचारोत्तेजक विचार व्यक्त किए, वरन् भारत की अर्थनीति, वित्त, कर-व्यवस्था पर भी बहुत ही सारगर्भित अभिमत दिए। तत्कालीन समय में आर्थिक विषयों पर व्यक्त उनके प्रभावी विचारों का संकलन, जो आज भी प्रासंगिक हैं।
जाने-माने अर्थशास्त्री, नीति-निर्माता, शिक्षाशास्त्री, समाज-विज्ञानी और सुप्रसिद्ध लेखक नरेंद्र जाधव ने 22 पुस्तकों का लेखन/संपादन किया है, जिनमें रवींद्रनाथ ठाकुर पर तीन भाग (ग्रंथावली), रि-इमर्जिंग इंडिया, मॉनीटरी पॉलिसी, फाइनेंशियल स्टेबिलिटी एंड सेंट्रल बैंकिंग इन इंडिया, अनटचेबिल्स (सीमोन एंड शूस्टर, अमेरिका), आउटकास्ट—ए मेमॉयर (पेंग्विन, भारत) और मॉनीटरी इकोनॉमिक्स फॉर इंडिया शामिल हैं। इनके अतिरिक्त 27 प्रमुख सरकारी रिपोर्टें तथा पत्रिकाओं में 100 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित एवं राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अनेक व्याख्यान दिए हैं।
अमेरिका की इंडियाना यूनिवर्सिटी से पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त है। संप्रति योजना आयोग के सदस्य (केंद्रीय राज्य मंत्री का दरजा) के रूप में शिक्षा, श्रम-रोजगार, सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण विषयों को मुख्य रूप से देखते हैं। राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् के सदस्य भी हैं।
डॉ. जाधव को अर्थशास्त्र, शिक्षा, साहित्य, संस्कृति तथा सामाजिक कार्यों के लिए अब तक 55 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इनमें चार मानद डी.लिट. उपाधियाँ और फ्रांस सरकार से मिली कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ एकेडमिक पाम्स प्रमुख हैं।