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"डॉ. भीमराव आंबेडकर भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार और मानव अधिकारों के पैरोकार थे।
भारत को लेकर डॉ. आंबेडकर की दृष्टि समानता, निष्पक्षता और भाईचारे के सिद्धांतों से संचालित थी। वे जाति व्यवस्था के मुखर आलोचक थे, जिसे वे ऐसा सामाजिक उत्पीड़न मानते थे, जिसने भारत में लाखों लोगों को अज्ञानी व गरीब बनाए रखा। उन्होंने तर्क दिया कि लोकतंत्र और मानव अधिकार तथा जाति व्यवस्था की भेदभाव प्रकृति के कारण इसके विरोधी थे।
डॉ. आंबेडकर का समाज-सुधार का कार्य दलितों से कहीं अधिक विस्तारित था। उनका मानना था कि महिलाओं को भी पुरुषों के समान अवसर एवं अधिकार मिलने चाहिए। वे महिला अधिकारों के मुखर समर्थक थे। वे सामाजिक न्याय के प्रबल पक्षकर व आजीवन शोषित-वंचितों के उन्नयन और उत्थान के लिए कृत संकल्पित रहे।
इस पुस्तक में डॉ. आंबेडकर का व्यक्तिगत और पेशेवर संघर्ष, उनकी न्यायपूर्ण और समान समाज को लेकर दृष्टि तथा भारतीय समुदाय एवं संसार पर उनके स्थायी प्रभाव पर चर्चा शामिल है। पाठकों को इस पुस्तक से डॉ. आंबेडकर, के जीवन और संसार में उनकी सतत प्रासंगिकता का गहन बोध प्राप्त होगा।"
2018 में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित अशोक चौधरी का जन्म 12 मार्च, 1983 को राजस्थान के टोंक जिले के छोटे से गाँव दहलोद में हुआ। राजस्थान को सत्तर वर्षों के इतिहास में पहली बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिलानेवाले वे पहले फिल्म-निर्माता हैं। इसके अलावा वे लेखक, उद्यमी, मोटिवेशनल स्पीकर व सोशल ऐक्टिविस्ट भी हैं।
वे अठारह साल की कम उम्र में ही घर से दूर मुंबई चले गए और वहाँ नौकरी से अपनी यात्रा की शुरुआत की। आज वे शिवाजा ग्रुप के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर हैं, जिसमें टाइल्स व फिल्म्स का व्यवसाय करते हैं। वे ‘द मिशन पॉजिटिव वर्ल्ड ट्रस्ट’ के संस्थापक हैं, जो देश भर में पेरेंटिंग, हैप्पी मैरिज लाइफ, लीडरशिप, एनएलपी आदि विषयों पर सेमिनार करता है। वे आर्ट ऑफ लिविंग, स्वदेशी, किसान संघ, लायंस क्लब जैसी विश्वव्यापी संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं। 2020-21 में शिवाजा ग्रुप तीन हिंदी बॉलीवुड फिल्म्स लेकर आ रहा है, जो मेक इन इंडिया, महिला सशक्तीकरण, समाज व देशहित में हैं। उनका सपना है ‘ऐसे समाज का निर्माण करना, जो प्रेम, शांति, एकता, सफलता, स्वास्थ्य व खुशी से भरा-पूरा हो।’
रीनाजी अशोकजी की धर्मपत्नी व गृहिणी हैं। वह दो बच्चों की परवरिश के साथ-साथ अशोकजी के सभी सामाजिक कार्यों में सहयोगी हैं। इस पुस्तक में उनका खूब सहयोग रहा है।