Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Dr. Ambedkar Rajneeti Dharma aur Samvidhan Vichar   

₹600

Out of Stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Dr. Ambedkar
Features
  • ISBN : 9789350485880
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Dr. Ambedkar
  • 9789350485880
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2017
  • 312
  • Hard Cover

Description

भारत में लोकतंत्र है या नहीं है, सच क्या है? जब तक लोकतंत्र को गणराज्य से जोड़ने या लोकतंत्र को संसदीय सरकार से जोड़ने से पैदा हुई गलत फहमी दूर नहीं हो जाती, इस सवाल का कोई ठोस जवाब नहीं दिया जा सकता। भारतीय समाज व्यक्तियों से नहीं बना है। यह असंख्य जातियों के संग्रहण से बना है, जिनकी अलग-अलग जीवनशैली है और जिनका कोई साझा अनुभव नहीं है तथा न ही आपस में लगाव या सहानुभूति है। इस तथ्य को देखते हुए इस बिंदु पर बहस करने का कोई मतलब नहीं है। समाज में जाति-व्यवस्था समाज में उन आदर्शों की स्थापना तथा लोकतंत्र की राह में अवरोध है।

—इसी संग्रह से

डॉ. बाबासाहब आंबेडकर एक राष्ट्रीय नेता थे। उन्हें मात्र दलित नेता कहना, उनकी विद्वत्ता, जन-आंदोलनों, सरकार में उनकी भूमिका के साथ न्याय नहीं होगा। युगों पुरानी जाति आधारित अन्यायपूर्ण और भेदभावकारी समाज में सामाजिक समानता और सांस्कृतिक एकता के जरिए लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने का उनका व्यापक दृष्टिकोण जगजाहिर है। मानवाधिकारों के राष्ट्रवादी और साहसी नेता के रूप में उनके भाषणों में आधुनिक भारत की सामाजिक चेतना को जगाने के लिए उनके जीवन-पर्यंत समर्पण की झलक मिलती है। लोकतंत्र के प्रबल हिमायती डॉ. भीमराव आंबेडकर के लोकतंत्र, राजसत्ता तथा शासन-प्रशासन के विषय में दिए पथ-प्रदर्शन करनेवाले भाषणों का अत्यंत महत्त्वपूर्ण संकलन।

The Author

Dr. Ambedkar

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW