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लोहिया ने नेहरूवियन सभ्यता का खुलकर विरोध किया और उस सभ्यता का विरोध गांधीजी ने भी किया था; लेकिन गांधी और लोहिया में फर्क यह था कि गांधी ने कभी सत्ता में आकर या जन-प्रतिनिधि के रूप में विरोध नहीं जताया और लोहिया ने सदन तक अपना विरोध दर्ज किया। हिंदी, स्त्री, जातीय असमानता और वैश्विकता पर वह खुलकर बोले और साथ ही इस बात की पुरजोर कोशिश उन्होंने की कि उसे धरातल पर लाया जाए। लोहिया का यह समाजवादी दर्शन लोहिया का जनतांत्रिक स्वप्न था; लेकिन यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि उन्हें वह अवसर नहीं प्राप्त हो सका कि अपने सपनों का भारत गढ़ सकें।
जन्म : 1 जनवरी, 1981, आजमगढ़ (उ.प्र.)।
शिक्षा : एम.ए., एम.फिल., पी-एच.डी.।
प्रकाशन : ‘सतह से शिखर तक भारत के राष्ट्रपति’, ‘आदिवासी समाज और मानवाधिकार’, ‘Hind Swaraj : A Charter for Human Development from Within’, ‘हिंद स्वराज : शताब्दी विमर्श’, ‘हिंद स्वराज : अहिंसक क्रांति का दस्तावेज’, महामहिम राष्ट्रपति की पुस्तकों ‘भारत जगाओ’, ‘राईज इंडिया’ व ‘भारत जागवा’ का संपादन। ‘ए डॉक्यूमेंटरी ऑन सुसाइड ऑफ पीजेंट इन विदर्भा : तमस’ का निर्देशन।
पुरस्कार-सम्मान : पॉपुलेशन कम्यूनिकेशन इंटरनेशनल न्यूयॉर्क, केंद्रीय शैक्षणिक नियोजन एकांश व आकाशवाणी महानिदेशालय, नई दिल्ली द्वारा संयुक्त रूप से प्रथम राष्ट्रीय पुरस्कार; राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का सृजनात्मक लेखन सम्मान व अन्य सामाजिक/स्वैच्छिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय से मेधा स्कॉलरशिप।
आकाशवाणी महानिदेशालय से प्रसारित धारावाहिक ‘दहलीज’, ‘तिनका-तिनका सुख’ तथा ‘ये कहाँ आ गए हम’। ग्लोबल विलेज ‘साप्ताहिक’ का संपादन। लोकसभा चैनल में एंकरिंग।
इ-मेल : Kanhaiyatripathi@yahoo.co.in & hindswaraj2009@gmail.com