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Dr. Suresh Awasthi Ke Pratinidhi Vyangya    

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Author Chakradhar Shukla
Features
  • ISBN : 9789392573972
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Chakradhar Shukla
  • 9789392573972
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2024
  • 192
  • Soft Cover
  • 200 Grams

Description

"पुस्तक में संगृहीत व्यंग्य किसी व्यक्ति पर केंद्रित न होकर, उसकी प्रवृत्ति को उद्घाटित करते हैं। विसंगतियों पर पैनी नजर डालते हैं। अनछुए पहलुओं पर लिखे व्यंग्य, परत-दर-परत खोलते हुए तीखे शाब्दिक प्रहार करते हैं तो उनके समाधान का द्वार भी खोलते हैं।

व्यंग्यकार को आस-पास के वातावरण-परिवेश में व्याप्त विसंगतियाँ- विकृतियाँ मन को बेचैन और व्यथित कर देती हैं। समाज में हो रही घटनाएँ, अमर्यादित स्थितियाँ, पाश्चात्य संस्कृति का बढ़ता प्रभाव बाजारवाद की दौड़ में स्त्री को भोग्या के रूप में सामने पेश करना, उन्हें समाचार चैनलों, अखबारों की चटपटी खबर बनाना व्यंग्यकार को कचोटता है। संवेदहीन क्रूरता की घटनाओं को वह सुनता, पढ़ता, देखता है और अपने व्यंग्य की धार से उन पर प्रहार करता है।

आदमी के अंतरंग और बहिरंग में आते बदलाव के साक्षी हैं पुस्तक के व्यंग्य। इस पुस्तक के व्यंग्यों में एक खास बात है कि व्यंग्यों की शुरुआत गद्य से होती है, पर उसका समापन व्यंग्य कविता से। यह पुस्तक पाठकों को गद्य के साथ कविता की आनंदमयी अनुभूतियों से भी जोड़ेगी।

भारतेंदु युग हिंदी व्यंग्य लेखन का उत्थान काल कहा जाता है। हास्य-व्यंग्य लेखन की परंपरा को हरिशंकर परसाईजी, शरद जोशीजी ने आगे बढ़ाया। पुस्तक में इसी परंपरा के 66 व्यंग्य संगृहीत हैं, जो हमारी पीड़ा, विवशता, नैराश्य, नाकारापन का व्याख्यान देते हैं और आलोडऩ करके इनसे पार पाने की क्षमता भी विकसित करते हैं।"

The Author

Chakradhar Shukla

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