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"कविता अनुभूतियों की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। जब से मानव ने अव्यक्त को अनुभव करना सीखा, तभी से उन विचारों के संप्रेषण हेतु कविता ने जन्म लिया होगा।
‘दृष्टि’ में प्रस्तुत कविताएँ शिक्षित-अशिक्षित, विकसित-अविकसित मानस के लिए यथार्थ के दर्पण सदृश हैं। ये कविताएँ पारंपरिक होते हुए भी लीक से बँधी हुई नहीं हैं। ‘परिवार’ कविता वर्तमान परिस्थितियों से जूझते व बिखरते हुए परिवार की तसवीर है तो ‘नींद’ कविता धन, वैभव एवं संपत्ति की प्राप्ति के पश्चात भी मानव-मन की अशांति का बिंब दरशाती है। ‘हँसने की कोशिश’ जीवटता का संदेश देती हुई सदैव प्रसन्न रहने की प्रेरणा देती है। ‘थाना दिवस’ कविता भावुक हृदय का करुण-क्रंदन है; वैश्विक महामारी की बलि चढ़े हुए एक वृद्ध की विधवा की जिले के मुखिया से की गई एक हृदयविदारक याचना है, जिसमें वह विलाप करती हुई अपने एकमात्र अवलंब, अपने पति को खोजने की फरियाद करती है। यह कविता एक प्रशासक की वेदना है, जो साधन-संपन्न व सक्षम होने के बावजूद कभी-कभी स्वयं को असहाय महसूस करता है।
इस संग्रह की सभी कविताएँ कर्तव्य, दायित्व और नैतिक आचरण की ओर पाठकों को उन्मुख करती हैं।"
रविन्द्र कुमार—बिहार के जिला बेगुसराय के एक छोटे से गाँव में जनमे रविन्द्र कुमार ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही प्राप्त की तत्पश्चात् नवोदय विद्यालय, बेगुसराय में प्रवेश लिया। आगे की शिक्षा के लिए राँची गए व आई.आई.टी. प्रवेश परीक्षा में चयनित हुए। इन्होंने मर्चेंट नेवी में प्रशिक्षण प्राप्त किया और शिपिंग क्षेत्र में सेवाएँ दीं। जहाज की नौकरी छोड़ आई.ए.एस. अधिकारी बने।
रविन्द्र कुमार भारत के प्रथम व एकमात्र ऐसे आई.ए.एस. अधिकारी हैं, जिन्होंने दो बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की।
रविन्द्र कुमार ने सिक्किम, उत्तर प्रदेश तथा केंद्र सरकार में सेवाएँ दीं वर्तमान में झाँसी के जिलाधिकारी हैं।
रविन्द्र कुमार एक आशुकवि व लेखक भी हैं। अब तक इनकी सात कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्हें इनकी कृति ‘एवरेस्ट : सपनों की उड़ान—सिफर से शिखर तक’ के लिए वर्ष 2020 में ‘अमृतलाल नागर पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। इनके जीवन पर एक उपन्यास ‘सपनों का सारथी’ भी लिखा गया है।
इ-मेल : ravindra.everest@gmail.com
वेबसाइट : www.shriravindrakumar.com