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दुनिया चमत्कारों से भरी है; इनमें कुछ चमत्कार मानव-निर्मित हैं, कुछ प्राकृतिक। मनुष्य की सदा से सहज चाह रही है कि वह कुछ नया करे, कुछ नया खोजे। उसकी इसी सहज वृत्ति ने हमारी दुनिया को चमत्कारों का पिटारा बना दिया। इन चमत्कारों में मिस्र के पिरामिड, ब्राजील का क्राइस्ट दि रिडीमर, भारत का ताजमहल, रूस का क्रेमलिन, कनाडा का सी.एन. टावर, अफ्रीका के नोरोनगोरो क्रेटर एवं सेरेंगेती, ऑस्ट्रेलिया की ग्रेट बेरियर रीफ, संयुक्त राज्य अमेरिका का माउंट रुशमोरे इत्यादि जैसे सैकड़ों चमत्कार शामिल हैं। ये चमत्कार केवल चमत्कार भर नहीं हैं, बल्कि उस स्थान और परिवेश की कला, संस्कृति, दर्शन और भौतिक-विशेषताओं के ध्वजवाहक भी हैं। इनमें दुनिया को प्रभावित करने की क्षमता है।
इन चमत्कारों के निर्माण के साथ-साथ इनके बारे में जाननेवालों की भी कमी नहीं है। जिज्ञासुओं और यायावरों की इसी जिज्ञासा पूर्ति हेतु इस पुस्तक की रचना की गई है। पुस्तक में दुनिया भर के सौ से अधिक मानव-निर्मित एवं प्राकृतिक चमत्कारों का सुरुचिपूर्ण और जीवंत विवरण दिया गया है। विवरण के साथ दिए गए चित्र पाठकों को सहज ही उस दुनिया से रूबरू करा देते हैं।
हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक महेश दत्त शर्मा का लेखन कार्य सन् 1983 में आरंभ हुआ, जब वे हाईस्कूल में अध्ययनरत थे। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से 1989 में हिंदी में स्नातकोत्तर। उसके बाद कुछ वर्षों तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए संवाददाता, संपादक और प्रतिनिधि के रूप में कार्य। लिखी व संपादित दो सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाश्य। भारत की अनेक प्रमुख हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक विविध रचनाएँ प्रकाश्य।
हिंदी लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक पुरस्कार प्राप्त, प्रमुख हैं—मध्य प्रदेश विधानसभा का गांधी दर्शन पुरस्कार (द्वितीय), पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलाँग (मेघालय) द्वारा डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति पुरस्कार, समग्र लेखन एवं साहित्यधर्मिता हेतु डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान, नटराज कला संस्थान, झाँसी द्वारा लेखन के क्षेत्र में ‘बुंदेलखंड युवा पुरस्कार’, समाचार व फीचर सेवा, अंतर्धारा, दिल्ली द्वारा लेखक रत्न पुरस्कार इत्यादि।
संप्रति : स्वतंत्र लेखक-पत्रकार।