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प्रस्तुत कहानियाँ जीवन की रेखाएं हैं। रेखाओं में ही युग और जीवन के चित्र ! कहानियाँ छोटी, परंतु अपने में पूर्ण । इतिवृत्तात्मकता के जटाजाल से मुक्त, साफ-सुथरी, स्पष्ट। जीवन के स्पर्शों से जीवंत और कुंठाओं से मुक्त स्वाभाविक और सहज भावना जगी कि इस कलाकार का विकास हो, कलाकार की साधना का विकास हो।
इन कथाओं में युग की अनुभूतियाँ तथा प्रेरणाएँ हैं। कलाकार ने युग की करुणा को नाना रूपों में देखा है और सहानुभूतिशीलता के साथ देखा है। चूँकि युग की दुःखानुभूतियाँ आर्थिक हैं, इसलिए इन कहानियों में मुख्यतः वैसी ही अनुभूतियाँ शब्दांकित हुई हैं।