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करण जौहर सफलता, बेबाकीपन, हाजिरजवाबी और बेधड़क बोलने के पर्याय बन चुके हैं, जिससे कभी-कभी न चाहते हुए भी विवाद खड़ा हो जाता है और सुर्खियाँ बन जाती हैं। केजो, जिस नाम से वे मशहूर हैं, एक चहेते बॉलीवुड फिल्म निर्देशक, निर्माता और एक्टर होने के साथ ही नई प्रतिभा की खोज के लिए जाने जाते हैं। अपनी मशहूर कंपनी धर्मा प्रोडक्शंस के जरिए, उन्होंने लगातार नए मानक बनाए और फिर से लिखे गए नियमों को चुनौती दी, और अपने ही ट्रेंड तय किए। लेकिन हम जिस हस्ती को जानते हैं, उसे प्रेरित करनेवाला कौन है?
पहली बार अपनी आत्मकथा में सबकुछ खुलकर कह देनेवाले, केजो अपने बचपन की यादों को ताजा करते हैं, अपनी सिंधी माँ और पंजाबी पिता का प्रभाव, बॉलीवुड को लेकर उनके अंदर का जुनून, फिल्मों में उनका आना, आदित्य चोपड़ा, शाहरुख खान और काजोल के साथ उनकी दोस्ती, उनकी लव-लाइफ, ए.आई.बी. रोस्ट, और भी बहुत कुछ...। अपने चिरपरिचित बेबाक अंदाज में वह भारतीय सिनेमा की पल-पल बदलती तसवीर, चुनौतियों और सबक, तथा दोस्ती के साथ ही इंडस्ट्री में प्रतिद्वंद्विता के बारे में बात करते हैं। ईमानदार, दिल को छूने और गहरी बातें बतानेवाली यह पुस्तक ‘एक अनोखा लड़का’ अपनी क्षमताओं के चरम पर मौजूद एक असाधारण फिल्म निर्माता और उतने ही असाधारण इनसान की कहानी है, जो आपको दिखाते हैं कि कैसे जिएँ और सफल बनें।
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अनुक्रम
प्रस्तावना—5
1. बचपन—13
2. स्कूल और कॉलेज—25
3. पहला ब्रेक : ‘दिलवाले दुलहनिया ले जाएँगे’—43
4. कुछ कुछ होता है—61
5. फिल्म निर्माण का शुरुआती दौर—74
6. मेरे पिता का देहांत—88
7. धर्मा का अधिग्रहण—99
8. धर्मा का सुदृढीकरण—112
9. धर्मा का कर्म-निर्धारण—131
10. शाहरुख खान—141
11. दोस्त और अनबन—150
12. प्रेम और सेस—160
13. कॉफी और रोस्ट—170
14. मध्यवय की घबराहट—180
15. आज का बॉलीवुड—185
उपसंहार—195
पूनम सक्सेना ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की नेशनल वीकेंड एडिटर हैं। लगभग दस साल तक वह इस अखबार के लिए लोकप्रिय टी.वी. रिव्यू कॉलम ‘स्मॉल स्क्रीन’ भी लिखती रहीं। हाल ही में, उन्होंने धर्मवीर भारती के ऐतिहासिक उपन्यास, ‘गुनाहों का देवता’ का अंग्रेजी में अनुवाद चंदर एंड सुधा के नाम से किया है।
करण जौहर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के शीर्ष निर्देशकों, निर्माताओं और लेखकों में से एक हैं। सन् 1976 में धर्मा प्रोडक्शंस की शुरुआत करनेवाले बेहद सम्मानित फिल्म निर्माता यश जौहर के पुत्र, करण ने सन् 2004 में अपने पिता की मृत्यु के बाद उनकी विरासत को आगे बढ़ाया। वह एक पुरस्कृत निर्देशक हैं, जिन्होंने ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे’ (1995) के सेट पर फिल्म निर्माता आदित्य चोपड़ा के असिस्टेंट के तौर पर कॅरियर की शुरुआत की। बतौर निर्देशक, करण की पहली फिल्म थी ‘कुछ कुछ होता है’ (1998), जो ब्लॉकबस्टर साबित हुई। उन्होंने छह बड़ी फिल्मों का निर्देशन किया और बीस से ज्यादा फिल्में बनाईं। सभी में बॉलीवुड के बड़े-बड़े स्टार शामिल थे। हाल ही में उन्होंने अनुराग कश्यप की ‘बॉम्बे वेलवेट’ (2015) के साथ एक्टिंग में भी कदम रखा। बहुमुखी प्रतिभा के धनी करण भारत के सबसे अधिक देखे जानेवाले सेलिब्रिटी चैट शो ‘कॉफी विद करण’ को भी होस्ट करते हैं। उन्होंने फैशन डिजाइन में भी हाथ आजमाया, और ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे’, ‘मोहब्बतें’ तथा ‘दिल तो पागल है’ जैसी लोकप्रिय फिल्मों के लिए कॉस्ट्यूम तक डिजाइन किए। फिल्म ‘बिरादरी’ में बेहद लोकप्रिय और पसंद किए जानेवाले करण को इंडस्ट्री के प्रवक्ता के रूप में देखा जाता है। सन् 2007 में उन्हें विश्व आर्थिक फोरम की ओर से 250 ग्लोबल यंग लीडर्स में से एक चुना गया था।