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Ek Aparajeya Yoddha : Pt. Lakhanlal Mishra   

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Author Dr. Vimal Kumar Pathak
Features
  • ISBN : 9789386871213
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Dr. Vimal Kumar Pathak
  • 9789386871213
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 248
  • Hard Cover
  • 350 Grams

Description

पं.लखनलालजी मिश्र ग्रामीण पृष्ठ- भूमि से जुड़े हुए एक ऐसे पुरुष हैं, जिनकी जड़ें एक ओर तो छत्तीसगढ़ के परंपरागत मालगुजारी विरासत की परिवार परंपरा से जुड़ी हुई हैं तो दूसरी ओर पारिवारिक विवशता के होते आजीविका के रूप में तत्कालीन ब्रिटिश पुलिस की नौकरी से खुद जुड़ गए। यह एक अनोखी विडंबना है कि एक व्यक्ति, जिसका अतीत मालगुजारी रोब से ओत-प्रोत हो एवं जो पुलिस विभाग की नौकरी में अपना रास्ता ढूँढ़ रहा हो, वह कैसे और क्यों ब्रिटिश शासन के विरुद्ध सर्वहारा की लड़ाई लड़ने तत्कालीन स्वतंत्रता संग्राम में कूद गया, यह अपने आप में शोध व विवेचना का विषय हो सकता है और इसी बिंदु पर आकर निश्चित रूप से 15 दिसंबर, 1945 को जो सुविचारित निर्णय पंडित मिश्र ने लिया, वह देश के हजारों, लाखों लोगों के लिए जहाँ प्रकाश का स्रोत बन गया, वहीं ब्रिटिश शासन के लिए परेशानी का सबब बना। इस परिप्रेक्ष्य में यद्यपि स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेनेवाले हर बलिदानी के महत्त्व को नकारा नहीं जा सकता, लेकिन ऐसे लेग, जिनके जीवन को दिशा मिल चुकी थी तथा अपना जीवन आराम और सुनिश्चित भविष्य के साथ गुजार सकते थे, ऐसे लोगों में तत्कालीन आई.सी.एस. अधिकारी, पुलिस मजिस्ट्रेट व जेल अधिकारी सम्मिलित थे, नौकरी को तिलांजलि देकर आंदोलन में कूद पड़ना निश्चित रूप से विशेष महत्त्व रखता है और इसी शृंखला में पं. मिश्र, जो ब्रिटिश पुलिस के एक अंग थे, का सेनानी का वेश धारण करना आज भी हमें रोमांचित कर देता है।

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अनुक्रम

संदेश—9

संपादकीय : महापुरुषों का स्मरण, अभिनंदनीय परंपरा—25

भूमिका——गणेश शंकर मिश्रा—29

स्मृति : शिलालेख अनावरण समारोह की लाख चेहरे मिले और मेला लगा..—डॉ. विमलकुमार पाठक—37

स्वतंत्रता संग्राम में छत्तीसगढ़ का योगदान——केयूर भूषण —41

जीवनी : गौरव-गाथा

संस्मरण : यादों के आईने में

पारिवारिक आईने में मिश्रजी की छवि

परिशिष्ट : पत्राचार  एवं कविताएँ

The Author

Dr. Vimal Kumar Pathak

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