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ईश्वर ने प्रत्येक मनुष्य के जीवन का एक लक्ष्य निर्धारित कर रखा है। इस लक्ष्य तक पहुँचने का प्रयत्न करते रहना मनुष्य का धर्म है। ऐसा कहाँ होता है कि सबको सबकुछ इच्छानुसार उपलब्ध हो जाए। नियति पर मनुष्य का कोई नियंत्रण नहीं है। प्रारब्ध के अनुसार जो मिले, उसी में संतुष्ट रहते हुए उसे क्रमश: अधिकाधिक सुंदर बनाने का पुरुषार्थ करना अवश्य मनुष्य के हाथ में है। सतत पुरुषार्थ, अनथक परिश्रम और समर्पण भाव के साथ जनसेवा का कार्य करनेवाली जयवंतीबेन मेहता ऐसी ही एक विभूति हैं, जिनके मन ने आराम कर लेने अथवा काम को विराम देने के विचार को छुआ तक नहीं।
जयवंतीबेन राजनीति में आईं तो किसी पद अथवा सत्ता के लोभवश नहीं, बल्कि इस सद्भावना की प्रेरणावश कि एक व्यक्ति की हैसियत से वे समाज के लिए क्या कर सकती हैं। वह बहुत स्थिरचित्त महिला हैं; बहुत मजबूत व्यक्तित्व की स्वामिनी हैं; न तो पलायनवादी हैं और न निराशावादी। उनके संस्मरणों का यह चित्रांकन व चरित्रांकन °•¤ ¥çßÚUæ× Øæ˜ææ उनके जीवन के अनेक पक्ष उजागर करता है। शैशव से लेकर आज तक के संस्मरण इसमें देखने को मिलेंगे; उनके पारिवारिक एवं राजनीतिक जीवन, उन्हें दिए गए पद, उनके द्वारा किए गए कार्य, उनकी सामाजिक सेवाएँ—सबका गहरा और विशद् परिचय यहाँ मिलता है। समाज-सेवा और राष्ट्र-सेवा को जीवन का मूल मंत्र मानकर उस अनंत पथ की यात्री की एक अविराम यात्रा।
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अनुक्रमणिका
प्रस्तावना—पूज्य श्री मोहनजी भागवत — Pgs. 7
भूमिका—डॉ. सुरेश दलाल — Pgs. 9
मन की कहूँ तो 15
भाग एक : पारिवारिक जीवन
1. शैशव : किशोरावस्था : शिक्षण — Pgs. 21
2. मुंबई में आगमन : संयुक्त परिवार के बीच — Pgs. 33
3. पति की गंभीर रुग्णता : धैर्य की परीक्षा — Pgs. 48
4. हर्ष और शोक की लुका-छिपी — Pgs. 54
5. दुःख से धैर्य की ओर — Pgs. 59
6. वर्ली में गृह-प्रवेश — Pgs. 66
7. जीवन की ढलती साँझ — Pgs. 72
भाग दो : राजनीतिक जीवन
1. संघ एवं जनसंघ का सम्पर्क व राजनीति में प्रवेश — Pgs. 85
2. मुंबई महानगरपालिका में प्रवेश — Pgs. 99
3. 1975—आपात काल में जेलयात्रा : कड़ुवी-मीठी यादें — Pgs. 110
4. कारावास में सजायाफ्ता स्त्रियाँ : करुण कथाएँ — Pgs. 118
5. जनता पार्टी का जन्म — Pgs. 130
6. भारतीय जनता पार्टी का जन्म — Pgs. 135
7. 1989 लोकसभा में प्रवेश — Pgs. 142
8. श्री राम जन्मभूमि आंदोलन एवं डॉ. मुरली मनोहर जोशीजी की एकता यात्रा — Pgs. 147
9. श्री अटलजी के अंतरंग संस्मरण — Pgs. 152
10. राजमाता विजयाराजे सिंधिया — Pgs. 158
11. श्री प्रमोद महाजन — Pgs. 163
12. भारत सरकार में राज्य-मंत्री — Pgs. 168
13. निजी सचिव श्री बालकृष्ण पाणिग्रही — Pgs. 184
14. सांसद-निधि, समाज-सेवा — Pgs. 190
15. पीहर से उऋण करती समाज-सेवा — Pgs. 193
16. पति की पावन स्मृति में कॉलेज की स्थापना — Pgs. 196
17. सत्ता से सेवा — Pgs. 201
18. राजनीतिक सहयात्री व पथप्रदर्शक — Pgs. 203
19. राजनीतिक मंथन — Pgs. 211
20. जागो बहनो! जागो 215
21. उपसंहार — Pgs. 220
संदर्भिका — Pgs. 223
20 दिसंबर, 1938 को औरंगाबाद में जनमी जयवंती नवीनचंद्र मेहता राजनीति में अपना विशिष्ट स्थान रखती हैं। सन् 1962 में राजनीति में प्रवेश करने के बाद वे पहले पार्षद, फिर महाराष्ट्र विधानसभा की दो बार सदस्य रहीं, उसके बाद नौवीं, ग्यारहवीं व तेरहवीं लोकसभा की सदस्य रहीं। भारत सरकार में विद्युत् राज्यमंत्री के रूप में उन्होंने ऊर्जा के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किया। इस बीच वे अनेक संसदीय समितियों की सदस्य भी रहीं। गुजराती, मराठी, हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं में समान अधिकार रखनेवाली जयवंतीबेन ने सदैव सामाजिक सरोकारों को केंद्र में रखकर राजनीति की है—चाहे वह पिछड़े वर्ग के उत्थान का विषय हो; महिलाओं के शोषण और अत्याचार के विरोध का मामला हो; बढ़ती कीमतों के विरुद्ध आवाज उठानी हो; शिक्षा तथा स्वास्थ्य या सामाजिक सुविधाओं और कानून-व्यवस्था में सुधार की बात हो। अपने लंबे राजनीतिक जीवन में उन्होंने अनेक महत्त्वपूर्ण पदों को सुशोभित किया—वे भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष तथा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहीं। 1975 में आपातकाल के दौरान उन्नीस महीने ‘मीसा’ में जेल वास किया।