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मैंने अपने जीवन में जेल तो क्या, एक पुलिस स्टेशन भी अंदर से नहीं देखा था। और यहाँ गेट के दूसरी ओर, एक टूटे, झुके हुए फिलिपॉज की बाँह थामे मैं जेल की ऊँची दीवारों के बीच खड़ा था। “सुरेश, प्लीज मेरी मदद करो। आई एम सिंकिंग।” फिलिपॉज अपना संतुलन खो रहा था। मैंने तुरंत उसे सँभाला और शांत करने की कोशिश की। असहायता के उस पल में मैंने उसकी आँखों में जो भय देखा वो अब भी मेरे मन में अंकित है। मैं पानी के लिए चिल्लाया पर जेल कर्मचारियों में से किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया। उनके मन में किसी प्रकार की संवदेना या दया नहीं थी। हर चीज (शायद एक को छोड़कर) से निरपेक्ष वे अपने ही नियमों से चलते थे।
—इसी उपन्यास से
‘एक BANKER की रोमांचकारी कहानी’ एक ठेठ नौकरी-पेशा युवक सुरेश की कहानी है, जो बैंक में काम करता है। वह अनाड़ी और रूढ़िवादी है और जीवन के हर चरण में स्वयं को दुनिया की चाल से बेढब पाता है। शहर में आकर बसनेवाले परिवार की दूसरी पीढ़ी से संबंधित वह अभी भी शहरी तौर-तरीके पूरी तरह से नहीं अपना पाया है और कई चीजें वह अब भी अपनी समझ से बाहर पाता है। हैदराबाद, कलकत्ता और उत्तर प्रदेश के परिवेश में रचित यह उपन्यास शहरी मध्यवर्गीय जीवन के द्वंद्व का एक सजीव चित्र प्रस्तुत करता है। कहानी सुरेश के जीवन और संघर्षों का यथार्थ चित्रण करती है। क्या वह इस व्यवस्था से लड़ पाएगा या उससे समझौता कर लेगा? पाठकों के लिए कौतूहल से परिपूर्ण एक BANKER की रोमांचकारी कहानी।
आई.आई.टी., कानपुर और आई.आई.एम., अहमदाबाद से पढ़ाई के बाद श्री अजय मोहन जैन ने एकबड़े और प्रतिष्ठित बैंक में नौकरी की शुरुआत की, जहाँ काम करते हुए उन्हें अलग-अलग शहरों में जाने पर और जीवन के विविध पहलुओं को नजदीक से जानने का मौका मिला। उनके अनुसार, इस अनुभव ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि वे यह कहानी लिखने पर मजबूर हो गए। वे पत्र-पत्रिकाओं और अखबरों में भी नियमित रूप से लिखते रहे हैं, लेकिन उपन्यास के रूप में ‘एक BANKER की रोमांचकारी कहानी’ उनकी पहली पुस्तक है।
उनसे संपर्क करने या उनकी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी के लिए info@ajaymohanjain.com पर लिखें।
वेबसाइट : www.ajaymohanjain.com