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नेपाल और भारत के संबंधों का इतिहास अत्यंत पुराना है। भारत और नेपाल के बीच हर क्षेत्र में परस्पर सहयोग और संबंध इतने बहुआयामी और व्यापक हैं कि उन्हें किसी सीमा में नहीं बाँधा जा सकता है।
नेपाल हमारा निकटतम पड़ोसी है। दुनिया के नक्शे में भारत और नेपाल भले ही अलग-अलग देश हों, किंतु भौगोलिक स्वरूप की समानता के साथ-साथ रहन-सहन, खान-पान, रीति-रिवाज, तीज त्योहार तथा दर्शन-चिंतन से लेकर मठ-मंदिर और तीर्थ-पर्व सब एक जैसे ही हैं। एक ओर धर्म और संप्रदाय को लेकर दोनों राष्ट्रों की उदारता एक जैसी है, वहीं दोनों ही देशों के सर्वमान्य आराध्य देव शिव हैं।
पूरी दुनिया में भारत व नेपाल ही ऐसे देश हैं, जिनके बीच आवाजाही में कोई भी रोक-टोक नहीं है। दोनों देशों के मध्य अनादिकाल से रोटी-बेटी का रिश्ता निर्बाध रूप से जारी है। दूसरे शब्दों में कहें तो भारत-नेपाल दो तन, एक मन हैं।
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अनुक्रम
अपनी बात —Pgs. 7
1. सगरमाथा के देश में एक दिन —Pgs. 15
2. नेपाल का इतिहास —Pgs. 29
3. नेपाल : एक परिचय —Pgs. 48
4. नेपाल में धर्म —Pgs. 63
5. नेपाल में विभिन्न जाति समुदाय —Pgs. 70
6. आस्था के आधार स्तंभ पशुपतिनाथ एवं केदारनाथ —Pgs. 83
7. नेपाली भाषा : नेपाल का प्राण —Pgs. 94
8. त्योहारों का देश-नेपाल —Pgs. 102
9. पर्यटन का पर्याय : नेपाल —Pgs. 115
10. आन-बान-शान के प्रतीक गोरखा —Pgs. 141
11. नेपाल : शिक्षा, विकास और समृद्धि —Pgs. 149
12. नेपाल-भारत के रिश्ते अटूट —Pgs. 159
13. विनाशलीला के पश्चात् पुनर्निर्माण —Pgs. 172
14. नेपाली मूल के भारतीय —Pgs. 180
15. नेपाल के प्रसिद्ध महानायक/नायिकाएँ —Pgs. 186
भारत-नेपाल : दो तन एक मन —Pgs. 204
केदारनाथ आपदा का दस्तावेज है—प्रलय के बीच —Pgs. 211
निशंक की पुस्तक प्रलय के बीच भारत-नेपाल की साझी विरासत —Pgs. 213
पुस्तक गागर में सागर —Pgs. 215
रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
जन्म : वर्ष 1959
स्थान : ग्राम पिनानी, जनपद पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)।
साहित्य, संस्कृति और राजनीति में समान रूप से पकड़ रखनेवाले डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की कहानी, कविता, उपन्यास, पर्यटन, तीर्थाटन, संस्मरण एवं व्यक्तित्व विकास जैसी अनेक विधाओं में अब तक पाँच दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित।
उनके साहित्य का अनुवाद अंग्रेजी, रूसी, फ्रेंच, जर्मन, नेपाली, क्रिओल, स्पेनिश आदि विदेशी भाषाओं सहित तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, संस्कृत, गुजराती, बांग्ला, मराठी आदि अनेक भारतीय भाषाओं में हुआ है। साथ ही उनका साहित्य देश एवं विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जा रहा है। कई विश्वविद्यालयों में उनके साहित्य पर शोध कार्य हुआ तथा हो रहा है।
उत्कृष्ट साहित्य सृजन के लिए देश के चार राष्ट्रपतियों द्वारा राष्ट्रपति भवन में सम्मानित। विश्व के लगभग बीस देशों में भ्रमण कर उत्कृष्ट साहित्य सृजन किया। गंगा, हिमालय और पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन हेतु सम्मानित।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से सांसद तथा लोकसभा की सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति के सभापति।