Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Ek Kahani Adhoori Si   

₹400

Out of Stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Vijaya Goyal
Features
  • ISBN : 9788177213218
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Vijaya Goyal
  • 9788177213218
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2017
  • 208
  • Hard Cover

Description

जैसे-जैसे समझ आती गई, लोगों के चेहरों से झूठ के नकाब उतरते गए। मोह से निकलकर सच का सामना करने का समय आ गया। मैं जड़ से सिमटकर चेतन की ओर बढ़ गई। एकांत अच्छा लगता था। चाँद की घटती-बढ़ती कश्ती और फिर एक बिंदु। उसे देर रात तक ताकना मेरा प्रिय खेल था। आकाश में किसी भी सितारे का टूटकर पक्षी सा उड़कर कहीं और जा बैठना मुझे अचंभित करता। कुछ ऐसे ही, जैसे आत्मा शरीर छोड़कर दूसरे शरीर में जा समाती है। सूर्य की किरणों को पकड़ने की चेष्टा करती, क्योंकि एक विचार कहीं गहरे बाल मन में घर कर गया कि ईश्वर सूर्य पर रहते हैं।
उस रात जब माँ संसार से विदा हुई, मैं मात्र अठारह माह की थी। माँ के बिना जीवन कैसे कटता है, यह वही जानते हैं, जिन्होंने इस त्रासदी को भोगा है। मगर मैं...मैं तो माँ का ही शेष जीवन जी रही हूँ, जो वे मुझे भेंट स्वरूप दे गईं। नहीं कह सकती कि यह भेंट वरदान बनी या अभिशाप।
यह है मेरी अधूरी कहानी। 
—लेखिका

प्रसिद्ध लेखिका विजया गोयल की मर्मस्पर्शी व संवेदनशील कहानियों का संकलन, जो पाठक के हृदय को स्पंदित करेंगी व मन-मस्तिष्क में स्थान बना लेंगी। उनकी रचनाओं में समाज के निर्बल वर्ग व नारी उत्पीड़न का अत्यंत सजीव एवं मार्मिक विवरण प्रस्तुत हुआ है। मानवीय रिश्तों का चित्रण उनके द्वारा रचित साहित्य की विशेषता है।

_____________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________

अनुक्रम

आत्म वतव्य — Pg. 7

आभार — Pg. 9

1. रिश्तों के तराजू — Pg. 13

2. एक कहानी अधूरी सी — Pg. 15

3. कैंची — Pg. 25

4. लगाव — Pg. 31

5. बुढ़िया — Pg. 37

6. जलतरंग — Pg. 40

7. प्रेम पथ — Pg. 49

8. जंगल  — Pg. 59

9. कपूत — Pg. 62

10. मुसकान  — Pg. 69

11. कर्म गति  — Pg. 73

12. समर्पण — Pg. 75

13. सृजन — Pg. 101

14. आश्रम — Pg. 104

15. भोर — Pg. 109

16. एक पत्र गीत के नाम — Pg. 122

17. कृतिका  — Pg. 127

18. संघर्ष — Pg. 149

19. शिव का अर्धनारीश्वर रूप — Pg. 167

20. सिंधु के तट पर — Pg. 173

21. फिर वही — Pg. 179

22. रूपा — Pg. 181

23. अग्निपरीक्षा — Pg. 197

The Author

Vijaya Goyal

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW