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अपनी पहली पुस्तक ‘एक मुलाकात तथा अन्य कहानियाँ’ में लेखक और सिविल पदाधिकारी शुभा सर्मा ने जीवन के भिन्न-भिन्न वर्णनात्मक पहलुओं की जाँच-परख तटस्थता, सूक्ष्मता एवं संवेदना के साथ करने का सफल प्रयास किया है। विषयों की विविधता में विकासशील एवं उन्नत बाजार, शहरी व्यवस्था से लेकर ग्रामीण उड़ीसा के भीतरी परिदृश्य और लोक-संघर्ष तथा गहरे सामाजिक असंतोष के क्षेत्रों तक को शामिल किया गया है। वर्णन-पद्धति ऐसी, जो चिंतित गृहणियों, अति कल्पनाशील किशोर-किशोरियों और जीवन की सांध्य वेला से गुजर रहे पुरुष एवं स्त्रियों को माला के मनकोें की भाँति एक तार में पिरोते हुए आगे बढ़ती है। एक तरफ दीपांकर की कहानी है, जिसे असम की बहुत याद आती है और जो वापस आने के लिए ललक रहा है, लेकिन लौटने के बाद खुद को अपने ही देश में अजनबी पाता है और दूसरी तरफ उस खूबसूरत उमा की कहानी है, जिसकी रहस्यमय ढंग से हत्या कर दी जाती है और जो न्याय की प्रतीक्षा कर रही है। अगर अरुण पितृ सुलभ स्नेह के लिए तरस रहा है तो शिखा सामाजिक रीति-रिवाज का विरोध करती है। इन कहानियों के पात्रों में सभी तरह के लोग हैं, जिनसे हर रोज बस में, मेट्रो पर आमना-सामना होता है और जिन्हें देखकर समाज की छवि उभरती है, जैसे दर्पण में अपना ही प्रतिबिंब। प्रत्येक कहानी के शिल्प में रचनात्मक संतुलन की अद्भुत सच्चाई स्पष्ट झलकती है। कुल मिलाकर यह कहानी-संग्रह भारत की वास्तविकताओं तथा विरोधाभास को एक घुमाव के साथ सजीव करता प्रतीत होता है। एक-एक कहानी अत्यंत रोचक और पठनीय बन पड़ी है।
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अनुक्रम
प्रस्तावना — Pgs. 7
1. दीवार पर जड़ाऊ तस्वीर — Pgs. 15
2. वनवास — Pgs. 39
3. बुखारा में डिनर — Pgs. 58
4. धर्मयुद्ध — Pgs. 71
5. बूड़ — Pgs. 83
6. एक मुलाकात — Pgs. 93
7. सूर्यास्त की लालिमा — Pgs. 99
8. तबले की ताल — Pgs. 104
9. मन की परतें — Pgs. 111
10. खट्टा-मीठा — Pgs. 121
11. केस नं. 33/08 — Pgs. 125
12. बारिश की बूँदें — Pgs. 136
13. डायरी का रहस्य — Pgs. 162
लखनऊ में जनमी और पली-बड़ी शुभा शर्मा ने लेडी श्रीराम कॉलेज और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से शिक्षा ग्रहण की है। कुत्ते पालने की शौकीन शुभा को अपने खाली समय में अपने बोनसाई संग्रह की देखभाल करना बहुत पसंद है। भारतीय प्रशासनिक सेवा में नियुक्ति के बाद शुभा शर्मा ने एक दशक से भी अधिक समय तक उड़ीसा के आदिवासी जिलों में काम किया है, जहाँ उन्होंने सामाजिक परिवर्तन, महिला सशक्तीकरण की मशाल प्रज्वलित करने तथा वामपंथी अतिवाद से संबंधित जटिल विषयों को समझने-सुलझाने का प्रयास किया।
इस योग-साधक लेखिका को भ्रमण करने, साइकिल चलाने और स्विमिंग करने का भी बहुत शौक है। वह अपने पति और दो पुत्रों के साथ नई दिल्ली में रहती हैं।