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द एस्कॉर्ट्स ग्रुप भारत के जाने-माने औद्योगिक घरानों में से एक है। इसने अपने पचहत्तर वर्षों के इतिहास में कई दुरूह असफलताओं का सामना किया। सन् 1944 में एच.पी. नंदा ने लाहौर में एस्कॉर्ट्स की स्थापना की, जिसे विभाजन का शिकार होना पड़ा। यह फिर से अपने पैरों पर खड़ी हुई, दिल्ली के निकट फरीदाबाद में अपना निर्माण बेस तैयार किया। आनेवाले वर्षों में यह फोर्ड, जे.सी.बी. और यामहा जैसे शीर्षस्थ वैश्विक खिलाडि़यों से जुड़ी। 80 के दशक में इसकी ‘राजदूत बाइक्स’ ने हलचल मचा दी थी, परंतु वही दशक ब्रिटेन के टाइकून स्वराज पॉल की ओर से टेकओवर करने की साजिश का भी साक्षी रहा, जो कंपनी के जीवन में किसी स्तब्धकारी प्रसंग से कम न था। 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद राजन नंदा ने अनेक पहलों के साथ व्यवसाय की बागडोर सँभाली। वे एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट और टेलीफोनी बिजनेस के साथ सेवा क्षेत्र में आगे आए। परंतु कुछ गलत कदम उठाने के कारण ग्रुप को इन क्षेत्रों से बाहर आना पड़ा। एक समय पर वित्तीय संकट इतना अधिक हो गया था कि बिजली के बिलों का भुगतान न हो पाने के कारण कार्यालय की बिजली काट दी गई थी।
तब से अब तक कंपनी ने निखिल नंदा के नेतृत्व में उल्लेखनीय प्रदर्शन कर शानदार वापसी की है। एग्री-मशीनरी, निर्माण और रेलवे उपकरण के क्षेत्रों में भारी सफलता के साथ एस्कॉर्ट्स ने 2019 में अपने उच्चतम लाभ दर्ज किए, जो 400 करोड़ का कर चुकाने के बाद हुए थे। अब यह इनोवेशन विद्युत् विकास, ऑटोनोमस और हाइब्रिड टैक्टर्स व ट्रैक्सी (किसानों के लिए उबर) जैसी सेवाओं का नेतृत्व कर रही है।
‘एक ऊँची उड़ान’ नामक पुस्तक बताती है कि यह सब कैसे संभव हुआ। श्रेष्ठ व्यावसायिक अभ्यास अपनाए गए, सही लोगों को उचित भूमिका दी गई, डीलरों, सप्लायरों और ग्राहक-किसानों के साथ संबंधों पर कार्य किया गया। यह व्यवसाय प्रबंधन का आँखें खोल देनेवाला एक ऐसा दस्तावेज है, जिसमें इस क्षेत्र से जुड़े लोगों, पेशेवरों व प्रबंधन छात्रों के लिए कई सबक छिपे हैं, ताकि वे समझ सकें कि कैसे सबकी चहेती विशिष्ट भारतीय कंपनी को पुनर्जीवित कर इसे सफलता की एक ऊँची उड़ान दी गई।
शरद गुप्ता एस्कॉर्ट्स लि. में चीफ कम्यूनिकेशंस ऑफिसर, कॉरपोरेट मार्केटिंग ऐंड ब्रांड स्ट्रेटजी तथा टेक्नोलॉजी इनोवेशंस के वाइस प्रेजीडेंट पद पर नियुक्त हैं। वह 2014 से कंपनी के साथ कार्यरत हैं और उन्होंने कंपनी में हाल ही में आए सभी परिवर्तनों को बहुत निकट से देखा है। विभिन्न व्यावसायिक प्रकाशनों व अन्य मीडिया मंचों पर उनके अनेक आलेख प्रकाशित हुए हैं।
सीता एक वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिनके पास पैंतीस वर्षों के विविध अनुभव हैं, जिनमें बाबरी ढाँचे के विध्वंस से लेकर आर्थिक नीति की खोज तक शामिल हैं। उन्होंने द बैकरुम बिग्रेड : हाउ ए फ्यू इंटरपीड एंटरप्रेन्योर्स ब्रॉट द वर्ल्ड टू इंडिया पुस्तक लिखी है। वह दि मारुति स्टोरी : हाउ ए पब्लिक सेक्टर कंपनी पुट इंडिया ऑन व्हील्स पुस्तक में आर.सी. भार्गव की सह-लेखिका रही हैं।