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नील एक लीडिंग ब्रांड कंपनी में सीनियर एग्जीक्यूटिव है और उसकी पत्नी गौरी एक डेंटिस्ट है, जो अपना क्लीनिक चलाती है। दोनों एक-दूसरे को बेपनाह मोहब्बत करते हैं। वे गुरुग्राम के पॉश इलाके में आरामदायक जीवनयापन कर रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है, जैसे नील की फिटनेस प्रशिक्षिका श्रीन्या उनके जीवन में मुसीबतें खड़ी करना चाहती है।
दृष्टि एक टी.वी. न्यूज़ एंकर और पत्रकार के रूप में कार्यरत है, जबकि उसका पति सोमेश एक सीनियर पुलिस अफसर है। वे अपनी रोज़ाना की जिंदगी से बोर हो चुके हैं, पर जब उनकी मुलाकात क्यूबा में नील और उसके दोस्तों से होती है, तो सभी की जिंदगियाँ एकदम से बदलनी शुरू हो जाती हैं। उनके जीवन में मानसिक स्थिरता और पागलपन का तड़का लगाने का काम उनकी हास्यास्पद और रहस्यमय मित्र मंडली—टॉम, जेरी, जेम्स, मैहर और अंतरिक्षा—करती है।
ये कठिनाइयाँ तब और भयानक रूप ले लेती हैं, जब दृष्टि का अपहरण हो जाता है और नील को इसके लिए फँसा दिया जाता है। गौरी को कुछ कड़वी सच्चाइयों का सामना करना पड़ता है और वह नील से दूर हो जाती है। पर क्या यही सच है या फिर कुछ और, जिसे सुनकर पैरों तले की जमीन खिसक जाए? यही प्यार की पहेली सुलझाएगी यह पुस्तक।
देहरादून के मूल निवासी श्री अरविंद पाराशर आजकल बेंगलुरु में रहते हैं। उन्होंने जी.ई., डेल और जेनपेक्ट जैसे कई कॉरपोरेट संस्थानों में उच्च पदों पर अपनी सेवाएँ दीं। अपनी लेखकीय आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी कॉरपोरेट नौकरी को विराम दे दिया। उनकी लेखनी ने चमत्कार कर दिया—एक के बाद एक आए उनके सभी उपन्यासों ने पाठकों का दिल जीत लिया।
उनके पहले उपन्यास ‘क्रॉस वर्ड’ ने अपार सफलता हासिल की। उनका दूसरा उपन्यास ‘मेस्ड अप! बट ऑल फॉर लव’ भी एमेजोन की सर्वाधिक पढ़ी जानी वाली पुस्तक बनी। इतना ही नहीं, इस पुस्तक ने किसी भारतीय द्वारा लिखी गई रोमानी रहस्य गाथाओं में पहले दस में स्थान बनाया है।
अरविंद एक समाजसेवी और प्रेरक वक्ता भी हैं। उन्होंने देश की अलग-अलग जगहों पर सभाओं और साहित्य-सम्मेलनों के माध्यम से विद्यार्थियों और कॉरपोरेट जगत् के लोगों को संबोधित किया है। उन्होंने हमेशा शिक्षा का समर्थन किया है और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों की पढ़ाई को भी वे भरपूर सहयोग देते हैं। वे एक चित्रकार भी हैं और खाली समय में चित्र बनाना पसंद करते हैं। वे भविष्य में अपने चित्रों की एक प्रदर्शनी भी आयोजित करना चाहते हैं। ‘लॉस्ट इन लव’ उनकी तीसरी पुस्तक है।