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माधव जोशी कूची, ब्रश और रंगों के अनुपम शिल्पी हैं। अब तक उनकी रेखाएँ बोलती थीं। शब्दों के जरिए उनका हिंदी में यह पहला चमत्कार है। वे रेखाओं से चित्र बनाते हैं। पर यह किताब उनकी सृजन कूची का शब्दचित्र है। ‘एक पिता की जन्मकथा’ नामक यह किताब उनकी गहन संवेदनाओं का सजल विस्तार है।
इस उपन्यास का विषय नया और शैली प्रयोगात्मक है। कथा पति-पत्नी के परस्पर संबंधों की नई बुनियाद तो डालती ही है, साथ ही कहानी की परंपरागत लीक को भी तोड़ती है। ‘एक पिता की जन्मकथा’ लेखक का जिया और भोगा हुआ यथार्थ है, जिसे उसने भावना के शब्द दिए हैं। गर्भ से पहले संतान के साथ एक ‘पति’ नौ महीनों में कैसे ‘पिता’ में तब्दील हो जाता है। यह कथा ऐसी ही संवेदनाओं का सजीव और भावनात्मक चित्रण है। इसे पढ़कर किसी को भी लगेगा कि यह तो मेरी कथा है, मेरा यथार्थ है। उपन्यास के किरदार पाठकों से निरंतर संवाद करते हैं और उन्हें बाँधे रखते हैं।
इस उपन्यास की दूसरी भाषा इसके रेखाचित्र हैं, जो हमें उस कालावधि के दृश्य-परिदृश्य का बोध कराते हैं। कथा-साहित्य में रेखाओं का ऐसा प्रयोग कम ही देखने को मिलता है, जहाँ चित्र भी शब्द हो जाते हों।
‘एक पिता की जन्मकथा’ हिंदी कथा-साहित्य में अभिनव प्रयोग है। पति और पत्नी के बीच रिश्तों के बदलाव की यह कथा स्मृतियों का सजीव लेखा-जोखा तो है ही, एक अनमोल खजाना भी है, जिसमें आप बाप-बेटी और पति-पत्नी के आपसी रिश्तों के खूबसूरत जेवर को उसकी स्वर्णिम आभा के साथ देख सकते हैं।
माधव जोशी
मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी जबलपुर में जन्म। आरंभिक शिक्षा जबलपुर के बाद भोपाल में। कक्षा पहली में ही वाक्पटुता के कारण अधिवक्ता का तमगा। बचपन से ही रेखाओं से ऐसा प्यार हुआ कि नाना स्व. रामचंद्र रघुनाथ करंदीकर को गुरु मानकर कलायात्रा की शुरुआत की। ‘नई दुनिया’ में होली पर पहला कार्टून प्रकाशित होने के बाद से अब तक इन्हीं रेखाओं पर जीवनयापन। लगभग पैंतीस साल से देश के कई प्रमुख समाचार-पत्रों में ले-आउट, ग्राफिक्स, इलस्ट्रेशन और कार्टून पर नए प्रयोग। बदलाव के लिए कुछ साल न्यूज चैनल की ओर भी रुख किया। देश के विभिन्न शहरों में कार्टून्स व पेंटिंग्स की कई प्रदर्शनियाँ। लेखन की बीमारी भाई-बहनों व मित्रों को पत्र लेखन से जो लगन लगी तो आज तक जारी। समाचार-पत्रों में विभिन्न लेखों के माध्यम से यह और फली-फूली। अब तक तीन किताबें प्रकाशित। रेखाओं से प्रेम के अलावा शहर की तंग गलियों, पुराने बाजारों, सब्जी मंडियों में घूमना व रेल से यात्रा करना पसंद। सिनेमा, शास्त्रीय संगीत व कंटेंपे्ररी वर्क में गहरी रुचि। वर्तमान में स्वतंत्र रूप से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मीडिया के लिए कार्य। दैनिक जागरण में नियमित एडिटोरियल कार्टून।
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