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कभी-कभी प्यार महज आँखों का धोखा होता है। कभी-कभी यह आपकी जिंदगी का एकमात्र लक्ष्य बन जाता है। जब हर किसी पर यह बुखार चढ़ा है कि सोशल मीडिया पर क्या ट्रेंड कर रहा है, तब रघु किताबों में खोया है। उसके लिए तो प्यार करने का खयाल भी किताबों तक ही सिमटा है। फिर एक दिन उसकी मुलाकात रूही से होती है। करीब आ रहे छात्र-संगठन के चुनावों के दौरान उनका प्यार परवान चढ़ रहा था कि रघु एक ऐसी मुश्किल में फँस जाता है, जिससे निकलना उसके लिए असंभव सा हो जाता है। उसके जिगरी दोस्तों ने उसे बाहर निकालने का एक प्लान बनाया, लेकिन उसकी मुसीबत और बढ़ गई।
क्या रघु सही-सलामत निकल पाएगा या कैंपस की राजनीति का तूफान उसे उड़ा ले जाएगा?
सामाजिक-राजनीतिक दाँव-पेंच में उलझी पृष्ठभूमि पर आधारित सुदीप की यह नई पुस्तक रिश्तों के स्याह पहलू, सत्ता की भूख और रसूखदारों के पाखंड की परतें उधेड़ती है।
सुदीप नागरकर ने आठ बेहद लोकप्रिय उपन्यास लिखे हैं—फ्यू थिंग्स लेफ्ट अनसेड; दैट्स द वे वी मेट; इट स्टार्टेड विद ए फ्रैंड रिक्वेस्ट; सॉरी, यू आर नॉट माई टाइप; यू आर द पासवर्ड टू माई लाइफ; यू आर ट्रेंडिंग इन माई ड्रीम्स; शी स्वाइप्ड राइट इनटू माई हार्ट और ऑल राइट्स रिजर्व्ड फॉर यू। वह यूथ अचीवर्स अवॉर्ड के विजेता हैं तथा उन्होंने सबसे प्रभावशाली हस्तियों की ‘फोर्ब्स इंडिया’ की सूची में लगातार तीन साल तक अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। उन्होंने आई.आई.टी. जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों और टेड-एक्स जैसे संगठनों में गेस्ट लेक्चर दिए हैं। उनकी पुस्तकों का अनुवाद हिंदी, मराठी और तेलुगु समेत कई भाषाओं में हुआ है।
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