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“एक रोमांचक कहानी कोरोनाकाल की” अत्यंत रोमांचकारी कथा है। ...हम आशा करते हैं कि प्रत्येक पाठक इस कहानी से संबंध स्थापित करने में सक्षम होगा एवं इसे एक रोचक एवं ग्राह्य पाठ्य के रूप में याद रखेगा। —अभय करंदीकर, डायरेक्टर IIT कानपुर कैंब्रिज शोधकर्ता जेम्स वर्तमान महामारी के बारे में काफी चिंतित है जब एक साथी शोधकर्ता रमेश उसे यह कहते हुए आशन्वित करता है कि मानव इतिहास में पहली बार ऐसी घटना नहीं हो रही है। अपनी बात पर प्रकाश डालते हुए, रमेश सुदूर अतीत की, लगभग 4500 वर्ष पहले की एक कहानी सुनाता है कि कैसे मानव जाति अतीत में सारी विपदाओं को पार करके बची रही है और आगे बढ़ती रही है। आगे रमेश जेम्स को वर्तमान काल की दास्तान बताकर ढाढस बढ़ाता है कि कैसे मानव जाति कोरोना महामारी के कठिन दौर में उससे दो-चार करते हुए, अपने को नई परिस्थितियों में ढाल कर आगे बढ़ती जा रही है। वास्तविक मीटिंगों के बजाय वर्चुअल गेट-टूगेदर करने लगी है।...रमेश जेम्स को विश्वास दिलाता है कि हम अवश्य कामयाब होंगे और आगे बढ़ते रहेंगे। लचीलापन, आशावाद और मानव जाति की अदम्य इच्छाशक्ति एवं अद्भुत जिजीविषा की कहानी, यह आज के समय के लिए एकदम खरी उतरती है जिसमें हम जी रहे हैं।
आज के कोरोनाकाल की परिस्थितियों की सिंधु घाटी सभ्यता के समय की आपदाओं से तुलना करता हुआ मानव जाति की अदम्य भावना को दरशाता यह रोचक, प्रेरणादायक लघु उपन्यास।
आई.आई.टी., कानपुर और आई.आई.एम., अहमदाबाद से पढ़ाई के बाद श्री अजय मोहन जैन ने एकबड़े और प्रतिष्ठित बैंक में नौकरी की शुरुआत की, जहाँ काम करते हुए उन्हें अलग-अलग शहरों में जाने पर और जीवन के विविध पहलुओं को नजदीक से जानने का मौका मिला। उनके अनुसार, इस अनुभव ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि वे यह कहानी लिखने पर मजबूर हो गए। वे पत्र-पत्रिकाओं और अखबरों में भी नियमित रूप से लिखते रहे हैं, लेकिन उपन्यास के रूप में ‘एक BANKER की रोमांचकारी कहानी’ उनकी पहली पुस्तक है।
उनसे संपर्क करने या उनकी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी के लिए info@ajaymohanjain.com पर लिखें।
वेबसाइट : www.ajaymohanjain.com