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Ekatma Bharat Ka sankalp   

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Author Devesh Khandelwal
Features
  • ISBN : 9789352663507
  • Language : Hindi
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  • Kindle Store

More Information

  • Devesh Khandelwal
  • 9789352663507
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2018
  • 320
  • Hard Cover
  • 450 Grams

Description

स्वतंत्रता के पश्चात् भारत के इतिहास में अनेक महान् विभूतियों को मात्र इस कारण भुला दिया गया, क्योंकि वे नेहरूवादी राजनीति का हिस्सा नहीं थीं अथवा उन्होंने साम्यवाद और समाजवाद के मॉडल को भारतीयता के अनुकूल नहीं पाया था। इन महापुरुषों को भारत के समृद्ध इतिहास पर गर्व था। वे जीवनपर्यंत उसकी गौरवशाली प्रतिष्ठा को पुनर्स्थापित करने के प्रयत्न करते रहे। भारत की अखंडता उनके लिए सर्वोपरि थी और इसे स्थायी रखने के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया। इन्हीं में से डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी बीसवीं शताब्दी के अभूतपूर्व राजनीतिज्ञ थे। 
‘एकीकृत भारत का संकल्प’ 1946-1953 तक जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में उठे प्रश्नों का संपूर्ण समाधान है। इसके प्रत्युत्तर में तत्कालीन सरकार ने डॉ. मुखर्जी को सांप्रदायिक और फासीवाद घोषित कर दिया, क्योंकि इस राज्य के लिए अपनाई गई नीतियों के वे समर्थक नहीं थे। ये नीतियाँ वास्तव में कभी भारत के हित में नहीं थीं। हालाँकि, डॉ. मुखर्जी का कहना था कि संपूर्ण भारत में समान संविधान, एक ध्वज, एक प्रधानमंत्री और एक राष्ट्रपति होना चाहिए। यह पुस्तक केंद्र की नेहरू सरकार और राज्य की अब्दुल्ला सरकार की विफलताओं को सामने लाती है, जिन्होंने राज्य में गतिरोध पैदा किया। साथ ही यह डॉ. मुखर्जी के तर्कों पर गहन और निष्पक्ष अध्ययन प्रस्तुत करती है।
भारत माँ के अमर सपूत डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के संघर्ष, शौर्य और ‘एकात्म भारत’ के उनके संकल्प को रेखांकित करती पठनीय पुस्तक।

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अनुक्रम  
भूमिका—7 5.10—जनसंघ का प्रथम अखिल भारतीय अधिवेशन—29 दिसंबर (कानपुर)—204
प्रस्तावना—11 1953
खंड-1 5.11—प्रजा परिषद् पर दमन की नीति—11 जनवरी—209
1. हिंदू महासभा से भारतीय जनसंघ—19 5.12—नेहरू की कमजोर नीतियाँ, शेख का अलगाववाद —फरवरी (कलका)—212
2. हिंदू हितों की रक्षा, 1947—48 5.13—प्रजा परिषद् का आंदोलन सांप्रदायिक नहीं—20 मार्च (बॉम्बे)—215
खंड-2 5.14—नेहरू ठहरें और विचार करें—1 अप्रैल (दिल्ली)—218
3. संसदीय कार्यवाही 5.15—नेहरू की कमजोर और भ्रांतिपूर्ण नीतियाँ—19 अप्रैल (पटियाला)—224
1952— 5.16—अदुल्ला की भारत विरोधी गतिविधियाँ रोकें—26 अप्रैल (पटना)—226
3.1—सामान्य आय-व्यय के अनुदानों की माँगें, 26 जून—53 5.17—जम्मू-कश्मीर के लिए प्रस्थान—8 मई (दिल्ली) —228
3.2—कश्मीर राज्य के संबंध में प्रस्ताव, 7 अगस्त—74 5.18—महाप्रस्थान से पूर्व अंतिम वतव्य—10 मई (जालंधर)—233
1953— 6. लेख 
3.3—राष्ट्रपति का अभिभाषण संबंधी प्रस्ताव, 17 फरवरी—96 6.1—जम्मू-कश्मीर समस्या—238
3.4—जम्मू की स्थिति, 25 मार्च—99 6.2—शेख या करने में समर्थ हैं?—245
4. पत्राचार 6.3—शेख अदुल्ला : सर्वप्रथम भारतीय बनें, केवल मुसलमान और कश्मीरी बाद में—248
1953—4.1—जवाहरलाल नेहरू, 9 जनवरी—111 खंड-3 संलग्नक
4.2—शेख अदुल्ला, 9 जनवरी—122 संलग्नक-I—
4.3—जवाहरलाल नेहरू, 3 फरवरी—124 जम्मू-कश्मीर का अधिमिलन-पत्र—255
4.4—शेख अदुल्ला, 3 फरवरी—136 संलग्नक-IA—
4.5—जवाहरलाल नेहरू, 8 फरवरी—137 अधिमिलन की अनुसूची—258
4.6—जवाहरलाल नेहरू, 12 फरवरी—143 संलग्नक-II—
4.7—शेख अदुल्ला, 13 फरवरी—147 सुरक्षा परिषद् को ज्ञापन—261
4.8—जवाहरलाल नेहरू, 14 फरवरी—161 संलग्नक-III—
4.9—जवाहरलाल नेहरू, 17 फरवरी—165 छेवांग रिगजिम द्वारा प्रधानमंत्री को ज्ञापन—269
4.10—शेख अदुल्ला, 23 फरवरी—171 संलग्नक-IV—
5. भाषण एवं वतव्य — संविधान के मसौदे का अनुच्छेद 306A—273
1951 संलग्नक-V—
5.1—भारत के मुय सांप्रदायिक और एशिया के मुय तानाशाह अतूबर (दिल्ली)—187 जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए उद्घोषणा—284
5.2—विभाजित कश्मीर, दिसंबर (इलाहाबाद)—188 संलग्नक-VI—
1952 प्रेमनाथ डोगरा द्वारा राष्ट्रपति को ज्ञापन—285
5.3—नेहरू और अदुल्ला का विध्वंसक त्रि-राष्ट्र सिद्धांत—6 जुलाई (दिल्ली)—189 संलग्नक-VII—
5.4—डॉ. मुखर्जी का जम्मू-कश्मीर दौरा—9 अगस्त (जम्मू)—191 जवाहरलाल नेहरू और शेख अदुल्ला के बीच आठ 
5.5—कश्मीर की वर्तमान नीतियाँ—28 अगस्त (बंबई)—195 सूत्रीय समझौता—293
5.6—प्रजा परिषद् आंदोलन की अहमियत—नवंबर—196 संलग्नक-VIII—
5.7—नेहरू-अदुल्ला तानाशाही का अंत हो—14 दिसंबर (दिल्ली)—197 जम्मू में 26 फरवरी, 1953 तक दमन की रिपोर्ट—296
5.8—जम्मू में नृशंसता की न्यायिक जाँच हो—21 दिसंबर (दिल्ली)—200 संदर्भ सूची—305
5.9—जनसंघ यों?, दिसंबर—203 अनुक्रमणिका—309

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Devesh Khandelwal

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