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आपको जागने, भविष्य के बारे में उत्साहित होने और प्रेरित होकर जीने की आवश्यकता है।
यदि आप सुबह उठते हैं और सोचते हैं कि भविष्य बेहतर होगा, तो यह एक उज्ज्वल दिन है। अन्यथा यह नहीं है।
एक उद्यमी होना काँच खाने जैसा और मृत्यु के बाद अस्थियों को घूरने जैसा दुष्कर काम है।
जो दिख रही है, वह आधी लड़ाई है। आपको इसके लिए कड़ी मेहनत करनी है और विफलता से डरना नहीं है।
ज्यादातर लोग जितना सोचते हैं, उससे कहीं ज्यादा सीख सकते हैं।
नतीजे पर ध्यान केंद्रित न करें, अपने काम पर पूरा ध्यान केंद्रित करें, ताकि प्रत्येक कार्य पूरा हो जाने पर आपको एक कदम आगे बढ़ा दे, भले ही यह एक छोटा कदम हो।
—इसी पुस्तक से
हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक महेश दत्त शर्मा का लेखन कार्य सन् 1983 में आरंभ हुआ, जब वे हाईस्कूल में अध्ययनरत थे। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से 1989 में हिंदी में स्नातकोत्तर। उसके बाद कुछ वर्षों तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए संवाददाता, संपादक और प्रतिनिधि के रूप में कार्य। लिखी व संपादित दो सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाश्य। भारत की अनेक प्रमुख हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक विविध रचनाएँ प्रकाश्य।
हिंदी लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक पुरस्कार प्राप्त, प्रमुख हैं—मध्य प्रदेश विधानसभा का गांधी दर्शन पुरस्कार (द्वितीय), पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलाँग (मेघालय) द्वारा डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति पुरस्कार, समग्र लेखन एवं साहित्यधर्मिता हेतु डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान, नटराज कला संस्थान, झाँसी द्वारा लेखन के क्षेत्र में ‘बुंदेलखंड युवा पुरस्कार’, समाचार व फीचर सेवा, अंतर्धारा, दिल्ली द्वारा लेखक रत्न पुरस्कार इत्यादि।
संप्रति : स्वतंत्र लेखक-पत्रकार।