₹700
अंग्रेजी को विश्व में संपर्क भाषा के रूप में जाना जाता है। भारत में तो इस भाषा का महत्त्व बहुत अधिक है। ब्रिटिश राज खत्म होने के बाद भी अंग्रेजी भाषा के प्रभाव में बहुत कमी नहीं आई है। भारत के संविधान के तहत भी उच्चतम और उच्च न्यायालयों में अंग्रेजी को एक आधिकारिक भाषा में रखा गया है।
एक प्रश्न उठता है कि अंग्रेजी की शिक्षा किस उम्र से शुरू की जाए और एक विदेशी भाषा की सीख किस भाषा के द्वारा दी जाए। साथ ही व्याकरण (Grammar) की सहायता से विदेशी भाषा सीखी जाए या सिर्फ बोलचाल के आधार पर। इन प्रश्नों का उत्तर आवश्यक है। पाँचवीं कक्षा के पहले मातृभाषा को छोड़कर दूसरी भाषा का सीखना मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बच्चों के लिए घातक है। जब बच्चों को अपनी मातृभाषा का कुछ ज्ञान हो जाए तथा व्याकरण की थोड़ी समझ हो जाए, तभी विदेशी भाषा को सिखाया जाना चाहिए। दुर्भाग्यवश आजकल तथाकथित English Medium Schools में बच्चों की अंग्रेजी में पढ़ाई पहली कक्षा से ही शुरू हो जाती है; और व्याकरण का तो समावेश होता ही नहीं है। यही कारण है कि अंग्रेजी के बहुत से जाने-माने विद्वान् भी शुद्ध अंग्रेजी लिखने या बोलने में अक्षम पाए जाते हैं।
यह पुस्तक इसी बिंदु को ध्यान में रखकर तैयार की गई है कि ‘हिंदी’ मातृभाषा वाले लोग English सीख सकें, उसमें दक्ष हो सकें और सफल हो सकें।
______________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________
अनुक्रम
प्राक्कथन एवं कृतज्ञता — 7
PART ‘A’
GRAMMAR
1. Chapter – I
ALPHABET (वर्णमाला) — 15
2. Chapter – II
(SYNTAX) वाक्य-विचार — 21
3. Chapter – III
PARTS OF SPEECH (शब्द भेद) — 24
4. Chapter – III (A)
NOUN (संज्ञा) — 26
5. Chapter – III (B)
Pronoun (सर्वनाम) — 36
6. Chapter – III (C)
Verb (क्रिया) — 42
7. Chapter – III (D)
ADVerb (क्रिया विशेषण) — 59
8. Chapter – III (E)
ADJECTIVE (विशेषण) — 61
9. Chapter – III (E-1)
‘ARTICLES (Adjective)’ — 69
10. Chapter – III (F)
PREPOSITION (संबंधसूचक अव्यय) — 73
11. Chapter – III (G)
CONJUNCTION (समुच्चयबोधक अव्यय-संयोजक) — 80
12. Chapter – III (H)
INTERJECTION (विस्मयादिबोधक अव्यय) — 83
13. Chapter – IV
TENSE (काल) — 85
14. Chapter – V
VOICE (वाच्य) — 89
15. Chapter – VI
NARRATION (कथन विधि) — 94
16. Chapter – VII
PUNCTUATION AND CAPITAL LETTERS
(चिह्नांकन एवं बड़े अक्षर) — 104
17. Chapter – VIII
TRANSFORMATION (वाक्य परिवर्तन) — 112
PART ‘B’
TRANSLATION
1. TRANSLATION (अनुवाद) — 123
PART ‘C’
Verb (Addition)
1. Verb (क्रिया) — 22
PART ‘D’
COMMON CLASSIFIED VOCABULARY
1. COMMON CLASSIFIED VOCABULARY (सामान्य वर्गीकृत शब्द) — 245
PART ‘E’
PREPOSITION (Addition)
1. PREPOSITION (संबंधसूचक अव्यय) — 271
PART ‘F’
IDIOMS & PHRASES
1. IDIOMS & PHRASES (मुहावरा एवं शब्द समुच्चय) — 287
PART ‘G’
PROVerb
1. PROVerb (लोकोक्ति-कहावत) — 331
जगदीश नारायण सिंह
धनबाद स्थित इंडियन स्कूल ऑफ माइंस में माइनिंग इंजीनियरिंग के कोर्स में दाखिला लेने के लिए ‘अखिल भारतीय प्रतियोगिता परीक्षा’ में शामिल हुए और द्वितीय और प्रथम श्रेणी प्रबंधन योग्यता परीक्षा में पास हुए। इस बीच कानून में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और झारखंड हाई कोर्ट, राँची में ‘वकील’ बने। कलकत्ता यूनिवर्सिटी से ‘सोशल वर्क’ में एक साल का ‘पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा कोर्स’ प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त किया। कोल इंडिया लिमिटेड में सहायक कंपनियों के निदेशक (कार्मिक) के तौर पर सेवानिवृत्त हुए। अनेक राष्ट्रीय व्यावसायिक निकायों के सक्रिय सदस्य हैं। सौ से अधिक लेख प्रकाशित; जिनमें लगभग तीस हिंदी में हैं। तकनीकी और व्यावसायिक पुस्तकें भी लिखी हैं। चार खंडों की एक पुस्तक-शृंखला ‘कोल माइनिंग एंड मैनेजमेंट’ प्रकाशित। जिसमें ‘प्रबंधन’, ‘कानून’ और ‘सुरक्षा’ पर अध्याय हैं। अंग्रेजी में लिखे चार खंडों को उनकी सहायता और मार्गदर्शन में हिंदी में दो खंडों में संक्षिप्त रूप दिया गया है। अनेक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्थानों में गेस्ट फैकल्टी हैं। सब बातों के अलावा जीवन भर अंग्रेजी भाषा के छात्र और शिक्षक रहे हैं। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में हिंदी के माध्यम से अंग्रेजी के प्रचार के लिए समर्पित हैं।