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लोक परंपरा एवं जनश्रुतियों के अनुसार इटावा एक पौराणिक जनपद है। उपनिषद् युग के ऋषियों, महाभारतकालीन कथाओं, बौद्धयुगीन स्मारकों, मुगलकालीन अवशेषों एवं ब्रिटिशकालीन प्रतीकों तथा स्वतंत्रता संग्राम के योद्धाओं की कहानियाँ समेटे इटावा की अपनी अलग पहचान है। इटावा जिले की अन्य जिलों से जुड़ी सीमाएँ तथा उसकी सीमावर्ती क्षेत्र की बोलियाँ कई भिन्नताएँ लिये हुए हैं, जिनका अध्ययन पहली बार इस शोध ग्रंथ में किया गया है।
आगरा जिले की पूर्वी सीमा, विशेष रूप से बाह तहसील के पूर्वी भाग से इटावा की सीमा जुड़ती है। इटावा जिले का यह भाग ‘भदावर’ के नाम से प्रसिद्ध है और इस बोली को ‘भदावरी’ उल्लिखित किया गया है।
इटावा जिले में यमुना नदी के उत्तर का भाग जहाँ अधिक उपजाऊ है, वहीं यमुना नदी के दक्षिण का भाग ऊँचे-नीचे कगारों और बीहड़ों वाला है। मिट्टी के कटाव के कारण गहरे-गहरे खड्ड तथा ऊँचे टीले यमुना और चंबल के दोआब में देखे जा सकते हैं। जिले में कुछ जंगली क्षेत्र इटावा, भरथना तथा औरैया तहसील के दक्षिणी भागों में देखने को मिलते हैं। जिले में प्रमुख नदियाँ यमुना, चंबल, क्वारी, सिंध, पहुज, सेंगर, अरिंद हैं। इटावा जिले की बोलियों एवं भाषा का तुलनात्मक एवं सम्यक् विवेचन इस पुस्तक में है, जो शिक्षार्थियों, शोधकर्ताओं आदि के लिए बेहद उपयोगी है।
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अनुक्रम
आभार — Pgs. 5
भूमिका — Pgs. 7
1. भौगोलिक परिस्थिति एवं सामान्य जनजीवन — Pgs. 19
2. भाषिक स्थिति एवं सीमाएँ — Pgs. 35
3. इटावा जनपद की ध्वनि समूह बोलियों की ध्वनियाँ — Pgs. 40
4. इटावा जिले की सीमावर्ती बोलियों में संज्ञा रूपों का अध्ययन — Pgs. 55
5. इटावा जनपद की सीमावर्ती बोलियों में सर्वनाम के रूप — Pgs. 65
6. इटावा जनपद की सीमावर्ती बोलियों में विशेषण के रूप — Pgs. 73
7. इटावा जनपद की सीमावर्ती बोलियों में परसर्गों एवं प्रत्ययों के रूप — Pgs. 81
8. इटावा जनपद की बोलियों में शब्द-समूह — Pgs. 87
9. इटावा जपनद की सीमावर्ती बोलियों में क्रिया रूपों का अध्ययन — Pgs. 108
10. इटावा जनपद की सीमावर्ती बोलियों में अव्यय का अध्ययन — Pgs. 114
11. इटावा जनपद की सीमावर्ती बोलियों में वाक्य-रचना वाक्यों में शब्दों का क्रम — Pgs. 120
परिशिष्ट (क) — Pgs. 127
परिशिष्ट (ख) — Pgs. 135
इटावा के ग्राम-नगरिया, पोस्ट- सरावा में 21 सितंबर, 1964 को जन्म। एम.ए., पी-एच.डी.। आगरा विश्व-विद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर, जहाँ वे दलित चेतना विषय का अध्यापन करते रहे। 13 वर्ष तक विश्व के सबसे बडे़ सामाजिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे। अनेक पुस्तकों के लेखक डॉ. कठेरिया सर्वप्रथम 2009 में, फिर 2014 में लोकसभा के लिए चुने गए।
संप्रति : मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री, भारत सरकार।
संपर्क : office.mpagra@gmail.com