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जब हम विदेश की बात करते हैं तो उसमें सिर्फ बड़े-बड़े देश ही नहीं बल्कि कई छोटे देश भी शामिल होते हैं । विभिन्न देशों के साहित्य, विशेषकर कथा-साहित्य, के बारे में भी यही बात लागू होती है । इसीलिए इंग्लैंड (अंग्रेजी), रूस (रूसी), जर्मनी (जर्मन) तथा स्पेन (स्पेनिश) की श्रेष्ठ और प्रसिद्ध कहानियों के अतिरिक्त एक अलग अर्थात् प्रस्तुत पुस्तक में यूरोप के कई अन्य, जैसे-स्वीडन, नार्वे, फिनलैंड, हॉलैंड, डेनमार्क, हंगरी, रूमानिया, सर्बिया आदि देशों के साहित्य की प्रसिद्ध और चर्चित कहानियों के हिंदी अनुवाद दिए गए हैं । हिंदीभाषी साहित्यकारों, पत्रकारों, प्राध्यापकों तथा शोधकर्ताओं के अतिरिक्त सामान्य प्रबुद्ध पाठकों के लिए भी इस पुष्प गुच्छ का विशिष्ट महत्व होगा, इसमें दो मत नहीं हो सकते; निश्चित रूप से इसलिए भी कि ये सभी एक साथ लगभग अप्राप्य हैं ।
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अनुक्रम
दो शब्द — Pgs. 9
अनुवादकीय — Pgs. 11
1. आशाएँ—प्रेडिका ब्रेमर (स्वीडन) — Pgs. 13
2. जंगल का रहस्य—गस्टोफ मेजरस्टेव (स्वीडन) — Pgs. 27
3. राजकीय अभिवादन—डेयिल फालस्टोर्म (स्वीडन) — Pgs. 34
4. केरन—एलेक्जेंडर किलैंड (नार्वे) — Pgs. 41
5. एक माँ की कहानी—हंस क्रिचन ऐंडरसन (डेनमार्क) — Pgs. 47
6. अगुए—जुहानी अहो (फिनलैंड) — Pgs. 53
7. बंदर—एलेक्जेंडर किलैंड (नार्वे) — Pgs. 58
8. पिता—बजोंट्सजर्ने बजोंर्सन (नार्वे) — Pgs. 64
9. गिटजे—कोनार्ड बसकेन ह्यूट (हालैंड) — Pgs. 68
10. संगीतकार जेनको—हेनरिक सेनकीविच (पोलैंड) — Pgs. 74
11. युक्ति—गॉय दी मोपासाँ (फ्रांस) — Pgs. 82
12. पितृहत्या—गॉय दी मोपासाँ (फ्रांस) — Pgs. 88
13. विल्ली नृत्य—जोहन मेलऐथ (हंगरी) — Pgs. 95
14. शुक्र की खोज—आरपाड बरजिक (हंगरी) — Pgs. 101
15. प्रथम प्रवृत्ति—एहसान मुसलिफ बजुर्ग (ईरान) — Pgs. 107
16. मारक शत्रु—स्वेटोजार चोरोविच (सर्बिया) — Pgs. 112
17. कोसमा रकोरे—माइकल सेंडोवीनू (रूमानिया) — Pgs. 118
18. राजकुमारी और मोची—नामवर मुसन्निफ (तुर्की) — Pgs. 126
19. प्रतिज्ञा—समरसेट मॉम (इंगलैंड) — Pgs. 134
20. मनकों की डोरी—समरसेट मॉम (इंगलैंड) — Pgs. 141
21. ठग का ग्रास—गुमनाम—15वीं शताब्दी (स्पेन) — Pgs. 149
भद्रसैन पुरी का जन्म पंजाब के एक प्रतिष्ठित परिवार में 2 सितंबर, 1916 को सुलतानपुर लोधी (कपूरथला) में हुआ । डी. ए. वी. मिडिल स्कूल, रावलपिंडी (1923 - 30), रामजस हाई स्कृल नं 3, दिल्ली ( 1930 - 33) तथा हिंदू कॉलेज, दिल्ली ( 1933 - 37) में शिक्षा पाप्त की ।
1981 से 1987 तक सुपर बाजार पत्रिका, दिल्ली का अवैतनिक संपादन किया । तांत्रिक योग के रहस्यों को जानने के लिए 1987 - 88 में संपूर्ण भारत का भ्रमण किया ।
श्री पुरी एक मँजे हुए आइ भनेता, निर्देशक एवं नाटककार हैं । वर्तमान में मसिक पत्रिका ' वैदिक प्रेरणा ' का अवैतनिक संपादन कर रहे हैं ।
आपके द्वारा अनुवादित ' मोपासाँ की श्रेष्ठ कहानियाँ '. ' सोमरसेट मर्मि की चुनिंदा कहानियाँ ', ' ओ. हेनरी की रोचक कहानियाँ ', ' प्रतिनिधि जर्मन कहानियाँ ', ' प्रतिनिधि रूसी कहानियाँ'. ' प्रतिनिधि यूरोपीय देशों की कहानियाँ ' तथा ' स्पेन एवं इंग्लैंड की प्रतिनिधि कहानियाँ ' प्रकाशित हो चुकी हैं । इनकी अपनी कहानियाँ, एकांकी, संस्मरण, दर्शन परिचय तथा रत्न चिकित्सा भी शीघ्र ही प्रकाशित होने जा रहो हैं ।