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राष्ट्रीय स्तर की वॉलीबॉल खिलाड़ी अरुणिमा सिन्हा के आगे उज्ज्वल भविष्य था। तभी एक दिन चलती ट्रेन में लुटेरों का मुकाबला करने पर लुटेरों ने उन्हें धकेलकर नीचे गिरा दिया। इस भयानक हादसे से इस चौबीस वर्षीय लड़की को अपना बायाँ पैर गँवाना पड़ा, लेकिन उसने हार नहीं मानी। एक वर्ष बाद उन्होंने पर्वतारोहण का प्रशिक्षण लिया और माउंट एवरेस्ट पर पहुँचनेवाली पहली विकलांग महिला बनीं। आशा, साहस और पुनरुत्थान की अविस्मरणीय कहानी।
‘पद्मश्री’ और ‘तेनजिंग नोर्गे अवॉर्ड’ से सम्मानित अरुणिमा की कहानी हर छात्र को पढ़नी चाहिए।
अरुणिमा सिन्हा एवरेस्ट पर चढ़नेवाली प्रथम विकलांग महिला (और पहली भारतीय विकलांग) हैं। वर्तमान में गरीब और अशक्त जनों के लिए वे निःशुल्क स्पोर्ट्स अकादमी की स्थापना कर रही हैं।
पर्वतारोहण के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए वर्ष 2015 में भारत के राष्ट्रपति ने उन्हें ‘पद्मश्री’ अलंकरण तथा भारत सरकार द्वारा पर्वतारोहण के लिए हर वर्ष दिए जानेवाले ‘तेनजिंग नोर्गे अवॉर्ड’ से सम्मानित किया।