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Gandhi : Ek Satya   

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Author Rajendra Mohan Bhatnagar
Features
  • ISBN : 9788177213904
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
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  • Kindle Store

More Information

  • Rajendra Mohan Bhatnagar
  • 9788177213904
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2020
  • 200
  • Hard Cover
  • 300 Grams

Description

यह पुस्तक ही नहीं
गांधी के जीवन की परिक्रमा है,
गांधी जहाँ से चले थे
जो लेकर चले थे
उसके प्रतिदान में जो दे गए
उसकी समझ-खिड़की
बंद कर दी है,
उसे खोलकर
नई-ताजा हवा से
श्वास-विश्वास में
पुन: जीवन पाने के
अनुभव से गुजरने की
तीर्थयात्रा है।
एक बार उठाओगे
आँखों से लगाओगे
पढ़ते चले जाओगे,
जीने का व्रत ले
ताउम्र उसके हो जाओगे।
इसमें बच्चों की भाषा है
सरल पारदर्शी चित्रशाला है,
प्रेम-अहिंसा-करुणा ने
सत्य के साक्षात्कार
से अमृत-सा मिलाया है।
-राजेंद्र मोहन भटनागर
महात्मा गांधी की ऐसी झाँकी है यह पुस्तक, जो पाठक के मन-मस्तिष्क में उनके प्रेरक जीवन की अमित छाप छोड़ देगी।

 

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अनुक्रम

कथ्य—Pgs. 7

गांधी : क्या पाया, क्या खोया—Pgs. 13

1. जन्म—Pgs. 21

2. घर-परिवार—Pgs. 23

3. विलायत की ओर—Pgs. 32

4.  भारत की ओर—Pgs. 39

5. पुनः बंबई (मुंबई)—Pgs. 40

6. दक्षिण अफ्रीका की ओर—Pgs. 42

7. प्रिटोरिया में—Pgs. 46

8. सभा-संगठन—Pgs. 48

9. वकालत क्या है—Pgs. 51

10.  इनसानियत गवाह है—Pgs. 54

11. चलो, भाई पर कहाँ—Pgs. 58

12. चल पड़े तो रुकना कहाँ—Pgs. 63

13. गिरमिटियों के साथ—Pgs. 66

14. स्वयंसेवक का पहला पाठ—Pgs. 68

15. हिंदुस्तान में पहला भाषण—Pgs. 71

16. दक्षिण अफ्रीका लौटना—Pgs. 73

17. बोअर युद्ध से पहले—Pgs. 75

18. बोअर युद्ध—Pgs. 76

19. उपहारों से संवाद—Pgs. 80

20. पुनः हिंदुस्तान में—Pgs. 84

21. गोखले के साथ—Pgs. 85

22. काली मंदिर—Pgs. 88

23. फिर से वकालत—Pgs. 89

24. फिर दक्षिण अफ्रीका की ओर—Pgs. 91

25. पुलिस कमिश्नर—Pgs. 93

26. गोरी बहन की खोज—Pgs. 95

27. जिससे सीखा—Pgs. 96

28. सत्याग्रह की ओर—Pgs. 97

29. पुन: सत्याग्रह—Pgs. 101

30. लंदन प्रवास—Pgs. 106

31. टाल्सटॉय फार्म की ओर—Pgs. 110

32. दक्षिण अफ्रीका से वापसी—Pgs. 115

33. पुन: हिंदुस्तान में—Pgs. 122

34. शांति निकेतन में—Pgs. 124

35. रेल का करिश्मा—Pgs. 125

36. होमरूल लीग—Pgs. 127

37. आश्रम की स्थापना—Pgs. 131

38. नील की पीड़ा—Pgs. 132

39. मजदूरों के बीच में—Pgs. 137

40. किसानों के साथ—Pgs. 142

41. सेना में रंगरूटों की भरती—Pgs. 146

42. रौलट बिल—Pgs. 152

43. एक वर्ष में स्वराज्य—Pgs. 155

44. सर साइमन का आगमन—Pgs. 161

45. नमक आंदोलन—Pgs. 163

46. गांधी-इर्विन पैक्ट (समझौता)—Pgs. 165

47. अछूत समस्या बनाम पूना पैक्ट—Pgs. 166

48. द्वितीय विश्वयुद्ध—Pgs. 178

49. कस्तूरबा के बाद—Pgs. 185

50. नोआखाली में—Pgs. 188

51. विभाजन—Pgs. 193

52. हे राम—Pgs. 199

 

The Author

Rajendra Mohan Bhatnagar

प्रकाशन : 13 कहानी संग्रह, 67 उपन्यास, 14 नाटक आदि और उनमें झाँकती सूरतें अपना नाम कुछ इस तरह बताती हैं और कुछ बतियाती हैं—‘गोरांग’, ‘नीले घोड़े का सवार’, ‘देश’, ‘न गोपी, न राधा’, ‘विवेकानंद’, ‘दिल्ली चलो’, ‘रास्ता यह भी है’, ‘स्वराज्य’, ‘सूरश्याम’, ‘सरदार’, ‘कुली बैरिस्टर’, ‘प्रेम दीवानी’, ‘अंतिम सत्याग्रही’, ‘बस्ती का दर्द’, ‘चाणक्य की हार’, ‘रक्‍तध्वज’, ‘कायदेआजम’, ‘परछाइयाँ’, ‘अगस्त क्रांति’, ‘संध्या का भोर’, ‘जोगिन’, ‘महात्मा’, ‘अंतहीन युद्ध’, ‘मसरी मानगढ़’, ‘तामपत्र’, ‘सर्वोदय’, ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’, ‘राज राजेश्‍वर’, ‘योगी अरविंद’, ‘शामली’ आदि।
सम्मान-पुरस्कार : ‘मीरा पुरस्कार’, राजस्थान साहित्य अकादमी का ‘सर्वोच्च पुरस्कार’, अखिल भारतीय समर स्मृति साहित्य पुरस्कार, महाराजा कुंभा पुरस्कार, विशिष्‍ट साहित्यकार सम्मान, घनश्यामदास सहल सर्वोत्तम साहित्य पुरस्कार, नाहर सफान साहित्य पुरस्कार आदि।अंग्रेजी, फ्रेंच, गुजराती, कन्नड़, मराठी, उडि़या आदि भाषाओं में अनुवाद।

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