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Gandhiji Hind Swaraj se Nehru Tak   

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Author Devendra Swaroop
Features
  • ISBN : 9789351862277
  • Language : Hindi
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More Information

  • Devendra Swaroop
  • 9789351862277
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2018
  • 320
  • Hard Cover

Description

अनेक राजनेता, इतिहासकार और जिज्ञासु एक प्रश्न उठाते रहे हैं। आखिर गांधीजी ने 1946 में सरदार पटेल का नाम वापस करवाकर नेहरू को कांग्रेस का अध्यक्ष क्यों बनाया? जबकि 15 में से 13 प्रांतीय कांग्रेस कमेटियों ने सरदार पटेल का नाम प्रस्तावित किया था और नेहरू का नाम कहीं से नहीं आया था। गांधीजी जानते थे कि जो अभी कांग्रेस अध्यक्ष बनेगा, वही देश का प्रधानमंत्री भी बनेगा। तब उन्होंने अपने ‘हिंद स्वराज’ के सिद्धांतों से असहमति जतानेवाले नेहरू के हाथों देश की बागडोर सौंपने का निर्णय क्यों लिया? यह भी विचारणीय है कि गांधीजी अपने जीवनकाल में ‘हिंद स्वराज’ में प्रस्तुत अपने सपने को कितनी मात्रा में साकार कर पाए? यदि गांधीजी जैसा महान् व्यक्तित्व वह नहीं कर पाया तो क्या उनके बाद नेहरू से उसकी अपेक्षा की जा सकती थी? इस पुस्तक में इन प्रश्नों के आलोक में गांधीजी के जीवन-दर्शन और उनकी मूल निष्ठाओं को समझने का प्रयास किया गया है।

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अनुक्रम

अपनी बात — Pgs. 5

1. ‘हिंद स्वराज’ की शताब्दी — Pgs. 13

2. हिंद स्वराज के स्तुतिगान से आगे बढ़ें — Pgs. 18

3. हिंद स्वराज में क्या लिखा है — Pgs. 24

4. द. अफ्रीका में गांधीजी का कायाकल्प — Pgs. 30

5. गांधीजी की स्वदेश वापसी का अर्थ — Pgs. 33

6. राष्ट्रवाद और साम्राज्यवाद का कूटनीतिक युद्ध — Pgs. 39

7. गांधीजी की मूल प्रेरणा राजनीति नहीं धर्म — Pgs. 44

8. गांधीजी की हिन्दुत्वनिष्ठा और स्वदेश प्रेम — Pgs. 52

9. धर्मांतरण पर गांधी-दृष्टि — Pgs. 59

10. गांधीजी, हिन्दुत्व और सेक्युलरिज्म — Pgs. 62

11. गांधीजी का संस्कृत प्रेम — Pgs. 67

12. गांधी के राम, लोहिया के राम — Pgs. 73

13. राष्ट्र जागरण का गांधी-मंत्र — Pgs. 83

14. मुस्लिम प्रश्न पर दो मनीषियों का संवाद — Pgs. 89

15. एक अहिंसक समाज की त्रासदी — Pgs. 94

16. जब अहिंसा कायरता बन जाती है — Pgs. 99

17. गांधीजी की रजाई में साँप! — Pgs. 104

18. गोलमेज सम्मेलन और गांधीजी — Pgs. 110

19. सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण — Pgs. 115

20. सिख यथार्थ से गांधीजी का प्रथम साक्षात्कार — Pgs. 122

21. गांधीजी ने दिया तिरंगे को अर्थ — Pgs. 129

22. नमक सत्याग्रह से घबराई ब्रिटिश सरकार — Pgs. 134

23. लार्ड इर्विन : संत या शकुनि? — Pgs. 139

24. मेज पर हार, जनता में जीत — Pgs. 144

25. अभिमन्यु बिना गोलमेज चक्रव्यूह — Pgs. 149

26. चक्रव्यूह में फँस ही गया अभिमन्यु — Pgs. 154

27. गांधीजी के आलोचक मित्र श्रीनिवास शास्त्री — Pgs. 159

28. गोलमेज सम्मेलन से लौटे गांधीजी — Pgs. 164

29. गांधीजी गोलमेज सम्मेलन में गए ही क्यों? — Pgs. 169

30. ब्रिटिश कूटनीति की विजय है आरक्षण सिद्धांत — Pgs. 175

31. सफाईकर्मी समाज की माँ हैं — Pgs. 181

32. एक कैदी से थर्राया साम्राज्य — Pgs. 184

33. गांधी, अंबेडकर और ब्रिटिश चिंता — Pgs. 187

34. अनशन के विरुद्ध ब्रिटिश रणनीति — Pgs. 190

35. गांधीजी ने व्यूह-रचना पर पानी फेरा — Pgs. 193

36. जब ब्राह्मणों ने सफाई-कर्म अपनाया — Pgs. 196

37. गांधी और अंबेडकर — Pgs. 199

38. अंबेडकर-भक्ति बनाम गांधी-विरोध — Pgs. 202

39. पूना पैक्ट में आरक्षण सिद्धांत क्यों माना? — Pgs. 204

40. वायसराय का श्रीनिवास शास्त्री को ऐतिहासिक पत्र — Pgs. 210

41. उन्नीसवीं सदी में बिछी कूटनीतिक बिसात — Pgs. 216

42. हरिजन आंदोलन से डरी सरकार — Pgs. 222

43. राजा-मुंजे पैक्ट और गांधीजी — Pgs. 228

44. गांधीजी ने कांग्रेस क्यों छोड़ी? — Pgs. 231

45. कांग्रेस को अपने साँचे में नहीं ढाल पाए — Pgs. 236

46. गांधीजी के नेतृत्व को विप्लवी बंगाल ने कभी नहीं माना — Pgs. 241

47. गांधी और सुभाष दो निष्काम राष्ट्रभक्तों का टकराव — Pgs. 249

48. लोकतंत्र बनाम वंशवाद में गांधी कहाँ? — Pgs. 257

49. नेहरू ने गांधी-दर्शन ठुकराया — Pgs. 262

50. निष्काम-निर्मोही पटेल सत्ताकामी-वंशवादी नेहरू — Pgs. 266

51. सरदार पटेल प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन सके? — Pgs. 270

52. धर्मांतरण विरोध गांधीजी से संघ परिवार तक — Pgs. 275

53. समरसता के दो महारथी गांधीजी और श्रीगुरुजी — Pgs. 280

54. गांधीजी का सच्चा उत्तराधिकारी है संघ — Pgs. 288

55. यदि गांधी न होते तो? — Pgs. 293

56. गांधी वंशजों का बाजारवाद — Pgs. 298

57. गांधी के कंधों पर सोनिया का वंशवाद — Pgs. 303

58. तो गांधीजी इंटरनेट पर बैठे होते! — Pgs. 308

59. महात्मा गांधी जिंदा हैं, जिंदा रहेंगे — Pgs. 313

60. युगपुरुष गांधी—पुनर्मूल्यांकन : कुछ प्रश्न — Pgs. 318

The Author

Devendra Swaroop

जन्म 30 मार्च, 1926 को कस्बा कांठ (मुरादाबाद) उ.प्र. में। सन. 1947 में काशी हिंदू विश्‍वविद्यालय से बी.एस-सी. पास करके सन् 1960 तक राष्‍ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक कार्यकर्ता। सन् 1961 में लखनऊ विश्‍वविद्यालय से एम. ए. (प्राचीन भारतीय इतिहास) में प्रथम श्रेणी, प्रथम स्‍थान। सन् 1961-1964 तक शोधकार्य। सन् 1964 से 1991 तक दिल्ली विश्‍वविद्यालय के पी.जी.डी.ए.वी. कॉलेज में इतिहास का अध्यापन। रीडर पद से सेवानिवृत्त। सन् 1985-1990 तक राष्‍ट्रीय अभिलेखागार में ब्रिटिश नीति के विभिन्न पक्षों का गहन अध्ययन। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद‍् के ‘ब्रिटिश जनगणना नीति (1871-1941) का दस्तावेजीकरण’ प्रकल्प के मानद निदेशक। सन् 1942 के भारत छोड़ाा आंदोलन में विद्यालय से छह मास का निष्कासन। सन् 1948 में गाजीपुर जेल और आपातकाल में तिहाड़ जेल में बंदीवास। सन् 1980 से 1994 तक दीनदयाल शोध संस्‍थान के निदेशक व उपाध्यक्ष। सन् 1948 में ‘चेतना’ साप्‍ताहिक, वाराणसी में पत्रकारिता का सफर शुरू। सन् 1958 से ‘पाञ्चजन्य’ साप्‍ताहिक से सह संपादक, संपादक और स्तंभ लेखक के नाते संबद्ध। सन् 1960 -63 में दैनिक ‘स्वतंत्र भारत’ लखनऊ में उप संपादक। त्रैमासिक शोध पत्रिका ‘मंथन’ (अंग्रेजी और हिंदी का संपादन)।

विगत पचास वर्षों में पंद्रह सौ से अधिक लेखों का प्रकाशन। अनेक संगोष्‍ठ‌ियों में शोध-पत्रों की प्रस्तुति। ‘संघ : बीज से वृक्ष’, ‘संघ : राजनीति और मीडिया’, ‘जातिविहीन समाज का सपना’, ‘अयोध्या का सच’ और ‘चिरंतन सोमनाथ’ पुस्तकों का लेखन।

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