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देवव्रत से भीष्म की यात्रा मानव-मूल्यों की विस्तृत परंपरा का गान है। इस कृति में लेखक ने कालजयी योद्धा भीष्म के जीवन के कई अनछुए पहलुओं को स्पर्श किया है। आप जब पुस्तक पढ़ते हैं तो प्रतिपल भीष्म के साथ उनके जीवन की मानसिक यात्रा के साथी बन जाते हैं। प्रस्तुत पुस्तक को सिर्फ महाभारत के आख्यान हेतु नहीं पढ़ा जाना चाहिए, बल्कि तत्कालीन गुप्तचर व्यवस्था एवं समाज व्यवस्था की भी झलक इसमें मिलती है। यही वह समय था, जब धरा को श्रीकृष्ण के रूप में नया नायक मिला था। भीष्म की धर्म-निष्ठा एवं श्रीकृष्ण द्वारा प्रदत्त धर्म की सम्यक् व्याख्या हेतु भी पुस्तक को पढ़ा जाना चाहिए।
अंकुर मिश्रा
जन्म : 1 अक्तूबर, 1989 को कानपुर (उ.प्र.) में।
शिक्षा : यांत्रिकी अभियंत्रिकी से स्नातक, ष्ट्नढ्ढढ्ढक्च
संप्रति : सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में वरिष्ठ प्रबंधक।
प्रकाशन : विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कहानियों का प्रकाशन। वर्ष 2018 में प्रथम कहानी संग्रह ‘द जिंदगी’ तथा वर्ष 2020 में द्वितीय कहानी संग्रह ‘कॉमरेड’ का प्रकाशन।
सम्मान : कहानी संग्रह ‘द जिंदगी’ के लिए सर्वभाषा ट्रस्ट, नई दिल्ली द्वारा ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला साहित्य सम्मान 2018’, कहानी संग्रह ‘कॉॅमरेड’ नवलेखन उपक्रम में चयनित।
संपर्क : एम-714, आवास विकास-1, केशवपुरम, कानपुर (उ.प्र.)
इ-मेल Ñ mynameankur@gmail.com