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गणित को सामान्यतः लोग एक नीरस विषय मानते हैं, क्योंकि गणित के आधारभूत नियमों और सूत्रों की जानकारी के अभाव में गणित को समझना काफी कठिन होता है; साथ ही गणित को समझने में सूझ एवं तर्कशक्ति की परम आवश्यकता होती है। अतः मस्तिष्क पर दबाव डालना पड़ता है। जिनके पास सूझ, तर्कशक्ति एवं अच्छी स्मरण-शक्ति है, उन लोगों के लिए गणित आनंद का सागर है। समस्याओं को समझने तथा उनके समाधान मिलने पर उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा तथा अपार प्रसन्नता मिलती है। गणित अपने आप में रहस्यों का संसार है। जिज्ञासु जब इस रहस्यमय संसार में प्रविष्ट करता है तो एक के बाद एक नए रहस्य सामने आने लगते हैं। रहस्यों के अनावृत होने पर यह रहस्यमय संसार परीलोक में बदल जाता है—और जिज्ञासु आनंद के सागर में गोते लगाने लगता है।
प्रस्तुत पुस्तक का उद्देश्य पाठकों को गणित संबंधी अनेक रोचक बातों की जानकारी प्रदान कर गणित के प्रति रुचि जाग्रत् करना है, जिससे कि वे इससे मिलनेवाले आनंद को अधिकाधिक प्राप्त कर सकें।
जन्मतिथि : 18 जुलाई, 1948 ।
शिक्षा : एम. एस - सी. (गणित), बी. एड. प्रवक्ता, गणित, एम. एल. इंटर कॉलेज, सहपऊ, मथुरा (उ. प्र.) ।
प्रकाशन : अब तक वैदिक अंकगणित, वैदिक बीजगणित, मीठा बोलें, सुखी रहें और सामान्य गणित, पेचीदे प्रश्न पुस्तकें प्रकाशित।
अनेक शोध - पत्र प्रकाशित । विज्ञान व गणित की अनेक पुस्तकों के लेखन में संलग्न । ' वैदिक अंकगणित ' और ' वैदिक बीजगणित ' विशेष लोकप्रिय ।