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क्यों कुछ लोग गणित पढ़ने में पूर्ण आनंद अनुभव प्राप्त करते हैं, जबकि दूसरों को वह हौआ लगता है? क्यों कुछ लोग 100/100 नंबर पाते हैं, जबकि बहुतों के लिए वह जीवन भर अभिशाप बनकर रह जाता है? उत्तर ज्यादा कठिन नहीं है। कक्षा 10 तक गणित अनिवार्य विषय है। अधिकतर छात्र इसमें प्रयुक्त चिह्न, गणितीय शब्द, सूत्र, स्पष्टीकरण व उदाहरणों से पर्याप्त परिचय नहीं कर पाते और इसमें कमजोर रह जाते हैं, फलतः उनके लिए गणित हौआ बनकर रह जाता है।
गणित कोई मुश्किल विषय नहीं है। प्रस्तुत पुस्तक कक्षा 6 से कक्षा 10 तक के विद्यार्थियों के लिए गणित को आसान व रुचिकर बनाने का एक सशक्त प्रयास है। इसमें दिए हुए सूत्र जीवन भर काम आनेवाली धरोहर हैं।
ये सूत्र ही गणित का जीवन हैं। अतः उनके उचित उपयोग के लिए छोटे-छोटे उदाहरण दिए गए हैं। आप अपना थोड़ा सा मस्तिष्क लगाकर आसानी से गणित में 100 में से पूरे 100 अंक पा सकते हैं। गणित में पारंगत होने और सफल होने के लिए हर विद्यार्थी व सामान्य जन के लिए उपयोगी पुस्तक।
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विषय-सूची
प्रस्तावना — 7
गणित में प्रयुत चिह्न — 11
बीजगणित के सूत्र — 13
1 (a). संया समुच्चय N, W, I, Q, रोमन संयाएँ तथा गणित बाइनरी — 15
1 (b). वास्तविक संयाएँ (R) तथा उनके गुणधर्म — 17
2. संयाओं पर संक्रियाएँ — 19
3. वर्ग और घन — 24
4. लघुम समापवर्तक तथा महाम समापवर्तक — 31
5. बोडमास सूत्र — 34
6. घातांक व करणी — 36
7. एक, द्वि व त्रि-चरीय समीकरण निकाय — 39
8. इकाइयाँ तथा उनके रूपांतरण — 41
9. अनुपात, समानुपात और व्युत्क्रमानुपात — 45
10. द्विघात समीकरण — 47
11. वर्ड प्रॉलम्स — 51
12. प्रतिशतता व लाभ-हानि — 53
13. साधारण याज और चक्रवृद्धि याज — 56
14. भागीदारी — 58
15. शेयर एवं लाभांश — 60
16. सरल ज्यामिति, सरल रेखा, कोण, समानांतर रेखाएँ — 61
17. निर्देशांक ज्यामिति — 68
18. समानांतर श्रेणी — 71
19. त्रिकोणमिति — 72
20. त्रिभुज के प्रकार व सर्वांगसमता — 75
21. पाइथागोरस प्रमेय — 79
22. समरूप त्रिभुज — 81
23. चतुर्भुज — 83
24. वृत— 86
25. क्षेत्रफल — 91
26. त्रिविमीय आकृतियाँ — पृष्ठ क्षेत्रफल तथा घनफल — 96
27. समुच्चय सिद्धांत — 99
28. लघुगणक — 103
जन्म : 5 जनवरी, 1952 को ग्राम रसूलपुर रिठौरी, जिला बुलंदशहर (उ.प्र.) में।
शिक्षा : राजकीय इंटर कॉलेज (बुलंदशहर) तथा अग्रसेन इंटर कॉलेज सिकंदराबाद से हाई स्कूल एवं इंटर करने के पश्चात् दिल्ली विश्वविद्यालय में बी.एस-सी. (ऑनर्स) गणित द्वितीय वर्ष के छात्र थे कि पिता की मृत्यु हो गई। ट्यूशन पढ़ाकर बी.एस-सी. (ऑनर्स) एवं एम.एस-सी. उत्तीर्ण की।
कृतित्व : पढ़ाई के साथ-साथ दयाल कॉलेज, शर्मा पी.टी. कॉलेज, हरीश कॉलेज चलानेवाले डी.डी. शर्मा ने पहले दो बार सरकारी नौकरी के अवसर जान-बूझकर छोड़ दिए और सारा जीवन शिक्षा को समर्पित कर दिया। इग्नू के लिए चार तथा ओपन स्कूल के लिए तीन पुस्तकें लिखी हैं। दिल्ली बिजनेस स्कूल (नई दिल्ली) के एसोसिएट प्रोफेसर, विजिटिंग प्रोफेसर, दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च में काम कर चुके वर्तमान में नॉलेज हॉरेजिन, नई दिल्ली में आई.आई.टी. (गणित) पढ़ा रहे हैं। कविता की चार पुस्तकें प्रकाशित। एक नई थ्योरी ‘विचार विज्ञान’ (थॉटोनिक्स पर) शीघ्र प्रकाश्य।