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वे तो एक प्रतिभाशाली, मेधावी व परिश्रमी छात्र थे। वे तो गगनचुंबी विश्ववियात, महान् गणितज्ञ थे। सदैव आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर रहते थे। बस, पठन-पाठन में ही पूरा जीवन लगाया। कहते थे कि ये 24 घंटे के ही दिन-रात यों होते हैं, 48 घंटे के यों नहीं होते? बस, प्रतिपल कार्यरत रहना चाहते थे। निद्रा से दूर भागते थे। उनका बहुत बड़ा परिवार था, आज भी है। जहाँ-जहाँ भी रहकर पढ़े, सभी को अपने स्वभाव से, मधुर भाषा से सम्मोहित किए रहते थे। सभी के आदर्श थे वे। सभी के प्रेरणास्रोत थे प्रकाश। सबके प्रति अगाध प्रेम तो कूट-कूटकर भरा था उनके हृदय में। मृदुभाषी थे। जिससे भी 2 मिनट बात की, बस उन्हीं का हो जाता था। सांस्कृतिक कार्यक्रम व वार्षिक कार्यक्रम भी चलते थे, सभी धर्मों में भाग लेते थे। शेसपियर के ‘मर्चेंट ऑफ वेनिस’ ड्रामे में इन्होंने पोर्शिया की भूमिका निभाई थी। वार्षिक स्पोर्ट्स भी होते थे, उनमें भी भाग लेते थे। किसी भी कला क्षेत्र से दूर नहीं थे।
बी.एस-सी. की परीक्षा निकट थी कि फिमरबोन के पास खूब बड़ा सा फोड़ा निकल आया। बहुत चिंता थी कि अब या होगा? प्रैटिकल पास आ गए थे, खड़े नहीं हो पा रहे थे। धैर्य नहीं खोया था, दृढ़निश्चयी थे। आत्मबल, आत्मविश्वास, सब कुछ बटोरा और यह सोचकर कि कुछ भी असंभव नहीं है, मैं परीक्षा अवश्य ही दूँगा और पै्रटिकल का दिन आ गया। बी.एस-सी. फाइनल में फर्स्ट डिवीजन, फर्स्ट पोजीशन पाई थी।
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अनुक्रम
प्रस्तावना — Pgs. 5
आभार — Pgs. 7
My contented life — Pgs. 9
छपते-छपते — Pgs. 13
गणित के जादूगर : भाई धर्म प्रकाशजी — Pgs. 15
अध्याय-1 — Pgs. 19
अध्याय-2 — Pgs. 30
अध्याय-3 — Pgs. 36
अध्याय-4 — Pgs. 45
अध्याय-5 — Pgs. 47
अध्याय-6 — Pgs. 50
अध्याय-7 — Pgs. 57
अध्याय-8 — Pgs. 64
अध्याय-9 — Pgs. 69
अध्याय-10 — Pgs. 78
अध्याय-11 — Pgs. 85
अध्याय-12 — Pgs. 89
अध्याय-13 — Pgs. 97
अध्याय-14 — Pgs. 103
अध्याय-15 — Pgs. 122
अध्याय-16 — Pgs. 130
अध्याय-17 — Pgs. 148
मन की बातें — Pgs. 162
शशिजी पत्र? — Pgs. 163
स्व. श्रद्धेय डॉ. धर्म प्रकाश गुप्तजी — Pgs. 193
Bio-Data — Pgs. 202
List of Publications of Dharma P. Gupta — Pgs. 205
Dharma P. Gupta List of Special Lectures delivered — Pgs. 209
University of Allahabad Math Sci Net — Pgs. 211
शशि गुप्ता का जन्म मध्य श्रेणी के सम्मिलित परिवार तहसील धामपुर (जिला बिजनौर) उार प्रदेश में 19 दिसंबर को हुआ। पिता स्व. श्यामलाल प्रख्यात वकील थे व माता स्व. कुसुमलता मेरठ आंदोलन में स्वतंत्रता के लिए झंडा लेकर सबसे आगे चलनेवाली पहली महिला थी। धामपुर में परदा (घूँघट) समाप्त करनेवाली भी वही पहली महिला थी। आधुनिक वातावरण में पली-बढ़ी हुई शशि की शिक्षा धामपुर इंटर कॉलेज में हुई।
विवाह मेधावी नौजवान धर्म प्रकाशजी से 3 दिसंबर, 1953 को हुआ। डॉ. धर्म प्रकाश विश्ववियात गणितज्ञ थे।
इनर व्हील लब की अध्यक्षता में उन्होंने गरीबों के लिए नि:शुल्क इलाज हेतु एक दो मंजिली डिस्पेंसरी बनवाई। उसी की एक मंजिल पर कन्याओं को सिलाई, बुनाई और कढ़ाई की शिक्षा दी जाती है और प्रतिदिन स्कूल चलता है। उनकी उल्लेखनीय रुचियाँ हैं—बुनाई, कढ़ाई, सिलाई, पाक प्रणाली, पेंटिंग, कार्ड मेकिंग, क्रोशिया और पढ़ना। कुछ नया सीखने और ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा उन्हें पढ़ने में सदैव मजबूर किए रहती है। वे बहुत पहले टेबल टेनिस की खिलाड़ी थीं। छोटे-छोटे लेख पत्रिकाओं में छपते रहते हैं। योगा टीचर रही हैं। समाज सेविका हैं।
वह अपने पति को अपनी प्रेरणा मानती हैं।