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आमतौर पर यह देखा जाता है कि गर्भावस्था में गर्भवती की उचित और आवश्यक देखभाल न हो पाने के कारण अनेक ऐसी शारीरिक परेशानियाँ आ खड़ी होती हैं, जो जच्चा-बच्चा दोनों के स्वास्थ्य को कुप्रभावित करती हैं। गर्भवती की आवश्यक देखभाल न हो पाने का कारण इस संबंध में जानकारी का अभाव है। यह पुस्तक इस अभाव की पूर्ति करती है। इसमें गर्भवती के स्वास्थ्य की दृष्टि से उसके खान-पान, रहन-सहन, वातावरण आदि पर बड़ी ही कुशलता से अनुभवपरक जानकारियाँ दी गई हैं। गर्भवती का आहार-विहार कैसा हो, शारीरिक परिवर्तनों की स्थिति में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, साधारण और विशेष परिस्थिति में क्या करें तथा स्त्रा् जननांगों एवं स्त्रा् रोगों से संबंधित ढेरों व्यावहारिक जानकारियाँ ‘स्वस्थ माता, स्वस्थ शिशु’ की परिकल्पना को साकार करने में मदद करेंगी। आमतौर पर यह देखा जाता है कि गर्भावस्था में गर्भवती की उचित और आवश्यक देखभाल न हो पाने के कारण अनेक ऐसी शारीरिक परेशानियाँ आ खड़ी होती हैं, जो जच्चा-बच्चा दोनों के स्वास्थ्य को कुप्रभावित करती हैं। गर्भवती की आवश्यक देखभाल न हो पाने का कारण इस संबंध में जानकारी का अभाव है। यह पुस्तक इस अभाव की पूर्ति करती है। इसमें गर्भवती के स्वास्थ्य की दृष्टि से उसके खान-पान, रहन-सहन, वातावरण आदि पर बड़ी ही कुशलता से अनुभवपरक जानकारियाँ दी गई हैं। गर्भवती का आहार-विहार कैसा हो, शारीरिक परिवर्तनों की स्थिति में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, साधारण और विशेष परिस्थिति में क्या करें तथा स्त्रा् जननांगों एवं स्त्रा् रोगों से संबंधित ढेरों व्यावहारिक जानकारियाँ ‘स्वस्थ माता, स्वस्थ शिशु’ की परिकल्पना को साकार करने में मदद करेंगी।
महिलोपयोगी विषयों पर अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन के लिए सुप्रसिद्ध श्रीमती परवेश हांडा ने पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक के उपरांत पत्रकारिता का प्रशिक्षण प्राप्त किया। अब तक 30 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। राष्ट्रीय पत्रों में वर्षों कार्य कर चुकी हैं। सौंदर्य विज्ञान, प्राकृतिक साधनों, योग विज्ञान इत्यादि विषयों पर विपुल लेखन। नई दिल्ली से प्रकाशित एक महिला पत्रिका का तीन वर्ष तक संपादन। इन दिनों सौंदर्य प्रसाधनों का उत्पादन करनेवाली एक प्रमुख कंपनी में वरिष्ठ सलाहकार के पद पर कार्यरत।