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Garhen Apna Jeewan

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Author Mukul Kanitkar
Features
  • ISBN : 9789383111268
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Mukul Kanitkar
  • 9789383111268
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2020
  • 128
  • Hard Cover
  • 270 Grams

Description

क्या ऐसी कोई विधि हो सकती है, जिसमें आंतरिक व सामाजिक दोनों स्तरों पर सफलता पाई जा सकती है? इसी विधि को लिपिबद्ध करने का विनम्र प्रयास है यह पुस्तक—गढें अपना जीवन। व्यक्‍तित्‍व विकास के समग्र आयामों को इसमें संकलित किया गया है। यह पुस्तक व्यक्‍तित्‍व के पूर्ण विकास की मार्गदर्शिका बनाने का एक प्रयास है। चरित्र का गठन हो गया तो चरितार्थ की चिंता नहीं रहेगी। पद, पैसा और प्रतिष्‍ठा स्वयं ऐसे सार्थक व्यक्‍तित्‍व के पीछे भागेंगे। ‘गढें अपना जीवन’ केवल कुछ युक्‍तियाँ नहीं हैं, यह एक वैज्ञानिक विधि है।
इस पुस्तक में जीवन को सार्थक बनाने का जो तंत्र सुझाया है, वह भी समय की कसौटी पर बार-बार परखा हुआ है। यह विधि-समस्त शिक्षा पद्धति का आधार बननी चाहिए। जैसा इस पुण्यभू भारत में समय-समय पर होता रहा है, चरित्र-निर्माण एक सामान्य जीवन-प्रक्रिया बन जाए। उदात्त चरित्र के लोग अपवाद में नहीं, अपितु समाज का प्रत्येक व्यक्‍ति ही उदात्त चरित्र का बने। यह पुस्तक उन तत्त्वों व उनके व्यावहारिक प्रयोग को बताने का विनम्र प्रयास है, जो ऐसे आदर्श समाज-रचना का आधार बने।

The Author

Mukul Kanitkar

चिंतक, विचारक व सबसे महत्त्वपूर्ण एक प्रेरक। वर्तमान में शिक्षा-व्यवस्था को भारत-केंद्रित बनाने के लिए अनुसंधान, प्रकाशन, प्रबोधन व प्रशिक्षण में कार्यरत संगठन भारतीय शिक्षण मंडल के राष्‍ट्रीय सह संगठन मंत्री हैं। नागपुर से एल-एल.बी. तक शिक्षा प्राप्‍त करने के बाद 1990 में संपूर्ण जीवन समाज-कार्य के लिए समर्पित।
बिना तनाव व भय के परीक्षा देने के लिए उन्होंने अत्यंत लोकप्रिय पुस्तक ‘परीक्षा दें हँसते-हँसते’ का लेखन किया, जिसकी हिंदी में 1,25,000 तथा मराठी में 25,000 प्रतियाँ प्रसारित हो चुकी हैं। हिंदी में प्रकाशित अन्य पुस्तकें हैं—‘भारत जागो! विश्‍व जगाओ!!’ तथा ‘स्वामी विवेकानंद के विचारों में भारत का जीवनध्येय’। हिंदी, मराठी तथा अंग्रेजी की विभिन्न पत्रिकाओं में 1500 से अधिक लेख प्रकाशित।
अनुडाक : madhyanchal@gmail.com
जालपत्र : www.uttarapath.wordpress.com

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