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गौतम बुद्ध तथागत नाम से भी जाने गए। गौतम बुद्ध ने अपने सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार में जाति व्यवस्था का भी घोर विरोध किया था। उन्होंने मानव-मानव की समानता पर बल दिया। उन्होंने जन्म को न मानकर बुद्धि तथा चरित्र के आधार को छोटे-बड़े होने का मापदंड माना है। उन्होंने घोषणा भी की थी कि मनुष्य जन्म से नहीं, अपितु कर्म से ब्राह्मण अथवा शूद्र होता है।
गौतम बुद्ध द्वारा अनेक ऐसी बातों का प्रचार किया गया, जो आज भी मानव को एक-दूसरे से प्रेम, सद्भाव, दया और भाईचारे का संदेश देती हैं। इन्हीं संदेशों से प्रेरित गौतम बुद्ध की अनेक कथाएँ समाज-जीवन में प्रचलित हैं, जो मानव को असीम ज्ञान की ओर प्रेरित करती हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में ऐसी भी कुछ कथाओं को संगृहीत किया गया है, जो गौतम बुद्ध के जन्म से लेकर निर्वाण तक की घटनाओं का वर्णन करती हैं तथा उनके आचार-विचार से ओतप्रोत हैं। अपने शिष्यों को समय-समय पर उपदेश देते हुए उन्होंने अनेक कथाओं को उदाहरणार्थ समझाने का प्रयास किया और उन्हीं कथाओ का प्रचार-प्रसार उनके शिष्यों ने भी आगे किया। कथाएँ पूर्ण रूप से शिक्षात्मक एवं संस्कारित हैं।
हमें आशा ही नहीं, अपितु पूर्ण विश्वास है कि गौतम बुद्ध की ये पठनीय कथाएँ अवश्य ही प्रत्येक वर्ग के पाठकों को ज्ञान का बोध कराने में सहायक सिद्ध होंगी और समरस समाज बनाने का मार्ग प्रशस्त करेंगी।
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अनुक्रम | |
लेखकीय—5 | 46. बुद्ध की सीख—91 |
1. गौतम बुद्ध की जन्म कथा—9 | 47. सच्ची मित्रता—93 |
2. गौतम बुद्ध का नामकरण—14 | 48. सत्य का महत्त्व—95 |
3. हंस की प्राण रक्षा—16 | 49. सच्ची दयालुता—97 |
4. धनी और निर्धन का अंतर—18 | 50. उचित अवसर—99 |
5. सिद्धार्थ और यशोधरा—20 | 51. मोक्ष का मार्ग—100 |
6. देवदत्त का विरोध—22 | 52. धर्म का उजाला—101 |
7. सत्य से परिचय—23 | 53. सत्य से दूर—102 |
8. मृत्यु ही अटल सत्य—25 | 54. शांति की खोज—103 |
9. सत्य की खोज—27 | 55. वाणी का प्रभाव—104 |
10. साधना की ओर—30 | 56. कर्म की महिमा—105 |
11. सिद्धार्थ से गौतम—32 | 57. सबका हित—106 |
12. गौतम को बोध प्राप्ति—34 | 58. सच्चा पथ—108 |
13. यक्ष का उत्पात—36 | 59. लोभ का परिणाम—110 |
14. साधु का नुस्खा—37 | 60. अहंकार का त्याग—112 |
15. त्याग का महत्त्व—39 | 61. भिन्न-भिन्न कसौटी—113 |
16. बिना सेवा विद्या नाहि—41 | 62. अज्ञानी—114 |
17. शांति का मार्ग—44 | 63. ज्ञान का दीपक—115 |
18. साधु का बोध—46 | 64. साधना और साध्य—117 |
19. सुख और दुख—48 | 65. सबकी मंजिल एक—118 |
20. अंतरात्मा की आवाज—50 | 66. ईर्ष्या अग्नि—120 |
21. सच्ची मेहनत—52 | 67. जैसा आहार, वैसा विचार—124 |
22. बुद्ध की सिखावन—54 | 68. अज्ञानता का परिणाम—126 |
23. उपदेश का मोल—56 | 69. त्याग में आनंद—131 |
24. आलस का फल—58 | 70. दुख का निवारण—132 |
25. साँच को आँच नहीं—60 | 71. मानवता प्रथम—135 |
26. पसीने की कमाई—61 | 72. भगवान का वादा—137 |
27. त्याग और लोभ—62 | 73. सत्य की महिमा—138 |
28. सच्चा साधु—64 | 74. सच्ची लगन—139 |
29. सबसे बड़ा धनी—66 | 75. स्नेह का मूल्य—140 |
30. प्रेम का अमोघ अत्र—67 | 76. काल करे सो आज कर—142 |
31. क्रोध सबसे बड़ा शत्रु—69 | 77. अदृश्य बंधन—143 |
32. बुराई की जड़ —71 | 78. उपदेश का परिणाम—144 |
33. सुख और शांति—72 | 79. लालच का फल—146 |
34. मन की महिमा—73 | 80. जब आवे संतोष धन—150 |
35. दान का महत्त्व—75 | 81. बदनामी और नेकनामी—152 |
36. जहाँ चाह है वहाँ सुख नहीं—77 | 82. आम्रपाली और बुद्ध—154 |
37. धीरज और शांति का महत्त्व—78 | 83. बौद्ध धर्म की दीक्षा—155 |
38. लालच का फल—79 | 84. देवदत्त का षत्रं—158 |
39. क्रोध का उपचार—81 | 85. तथागत गौतम और मतवाला हाथी—160 |
40. शांति का स्रोत—82 | 86. अजातशत्रु का क्षमा माँगना—162 |
41. उपकार—84 | 87. ज्ञान का अथाह सागर—164 |
42. जीने का मार्ग—85 | 88. महिलाओं को शरण—165 |
43. बुद्ध का चमत्कार—87 | 89. मृत्यु पर किसी का वश नहीं—166 |
44. कल की चिंता—89 | 90. महानिर्वाण—167 |
45. अपंग कौन?—90 |
5 नवंबर, 1964 को नगर नजीबाबाद (उ.प्र.) में जनमे लेखक एवं चित्रकार मुकेश ‘नादान’ ने साहित्य-जगत् में अपनी अलग पहचान बनाई है। विभिन्न विषयों पर संपादित एवं लिखी गई दो सौ से भी अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं। बाल पाठकों के लिए अनेक सचित्र एवं शिक्षाप्रद पुस्तकें लिखकर उनमें शिक्षा एवं संस्कृति का संचार किया है। ‘नन्ही मुनिया’, ‘जंगल और आदमी’, ‘शिक्षाप्रद बाल कहानियाँ’, ‘शिक्षाप्रद बाल गीत’ जैसी पुस्तकें आज भी बाल पाठकों की पहली पसंद बनी हुई हैं। विभिन्न विषयों पर उपयोगी श्रंखला में लिखी ‘महानायक ए.पी.जे. अब्दुल कलाम’ (जीवनी), ‘प्रदूषण का कहर’, ‘बुढ़ापा : वरदान या अभिशाप’, ‘विश्व प्रसिद्ध महान् संत’ (जीवनियाँ), ‘बचपन॒: दशा और दिशा’ आदि पुस्तकें भी लोकप्रिय हुई हैं।