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आज पूरा विश्व गाय की उपयोगिता के संबंध में जान गया है। गाय की अमूल्यता व उसकी उपयोगिता पर अनेक वैज्ञानिक शोध हुए हैं। गो-मल-मूत्र, गोदुग्ध, गो-घृत, गो-स्वर आदि की ओषधीय उपयोगिता गाय को अन्य पशुओं के मुकाबले अलग ही महत्त्व प्रदान करती है।
भारत में गाय को 'माता' कहकर उसकी पूजा करने के पीछे भी यही कारण है।
प्रस्तुत पुस्तक में इतने उपयोगी पशु गाय के संबंध में लेखक ने विस्तृत जानकारियाँ प्रस्तुत की हैं। गाय की उपादेयता तथा अन्य पशुधन संबंधी विभिन्न आँकड़े प्रस्तुत कर तुलनात्मक ध्ययन किया गया है। औद्योगिकीकरण के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि पर ही आधारित है। कृषि में गाय का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
आशा है, यह पुस्तक पाठकों के गाय | से संबंधित ज्ञान में वृद्धि के साथ-साथ उसके उपयोग के परिप्रेक्ष्य में भी राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान के लिए प्रेरित करेगी।
भारत में गाय के गोबर का ईंधन मूल्य 3.5 करोड़ टन कोयले या 6.8 करोड़ टन लकड़ी के बराबर होता है। इसके अलावा एक-तिहाई से अधिक गीला गोबर घरेलू ईंधन के रूप में काम लाया जाता है। लगभग 34 करोड़ टन गोबर खाद के रूप में खेतों में वापस आता है, 3 करोड़ टन घरों में ईंधन के काम आता है और 16 करोड़ टन सड़कों तथा उसके इर्द-गिर्द जमा होकर वापस पारिस्थितिक आवर्तन में आता है।
पारंपरिक पद्धति से की जानेवाली खेती के लिए भारतीय उपमहाद्वीप में खाद की अत्यंत आवश्यकता होती है, क्योंकि यह खेती वर्षा पर निर्भर होती है। रासायनिक उर्वरक शायद ही कभी उपलब्ध ते हैं। ऐसे में ठाँठ, प्रजनन क्षमता खो चुकी तथा दुर्बल गायें भी एक महत्त्वपूर्ण कार्य करती हैं-खाद उत्पादन का। भारत में तेल तथा कोयले के विशेष भंडार तो हैं नहीं, फिर काफी बड़े क्षेत्र में उसने जंगल-कटाई भी कर रखी है। अतः उसके पास गाय के गोबर का ईंधन के नाते घरेलू उपयोग करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
गो-हत्या पर प्रतिबंध नहीं होता तो | गरीब छोटे किसान के लिए गायों को पालना असंभव ही हो जाता। गाय की सुरक्षा की हामी हिंदू धर्म ने न दी होती तो किसान अपनी गायों को दूसरे के खेत या बाड़ी में ठगी से पेट भरने के लिए कभी नहीं छोड़ सकता था।
-इसी पुस्तक से
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अनुक्रम
प्रस्तावना —Pgs. 7
1. भारत में पशुपालन तथा संवर्धन की पृष्ठभूमि —Pgs. 15
जनसंख्या, क्षेत्र तथा धर्म —Pgs. 15
आम कृषि की रचना —Pgs. 16
सन् 1950 के बाद आज तक का कृषि विकास —Pgs. 16
हरित क्रांति और पशु-संवर्धन —Pgs. 22
बड़े किसान —Pgs. 24
परिवार खेत —Pgs. 26
छोटे और मझोले खेत —Pgs. 27
काश्तकार —Pgs. 29
भूमिहीन मजदूर —Pgs. 30
हरित क्रांति के परिणाम —Pgs. 31
2. भारतीय पशुधन का आकार तथा कार्य —Pgs. 35
पशुओं तथा भैंसों की संख्या —Pgs. 36
गायों और भैंसों का दूध उत्पादन —Pgs. 36
गो मांस तथा भैंस मांस का उत्पादन —Pgs. 37
भारत में कुल मांस उत्पादन से गो मांस तथा भैंस मांस का अनुपात —Pgs. 39
औसत भारतीय आहार में प्राणिज प्रोटीन —Pgs. 40
गाय-बैलों तथा भैंसों की खालें —Pgs. 41
3. ‘पवित्र गाय’ की समस्या और समाधान —Pgs. 42
धर्म —Pgs. 42
ऐतिहासिक घटनाक्रम —Pgs. 45
व्याख्या करने की आजादी —Pgs. 47
पशुहत्या विरोधी कानून और पशु-संवर्धन में उनका महत्त्व —Pgs. 52
गो हत्या तथा भैंस हत्या पर विभिन्न राज्यों में कानून —Pgs. 54
‘पवित्र गाय’ अवधारणा की समस्या —Pgs. 59
उत्पादन —Pgs. 63
पशुपालन के समाजशास्त्रीय, —Pgs. 67
पारिस्थितिक तथा आर्थिक पहलू —Pgs. 67
पशुपालन की कार्यक्षमता ः शक्तिसंतुलन का अध्ययन —Pgs. 72
परिणाम —Pgs. 75
मूल्यमापन —Pgs. 80
भारतीय तथा संकर नस्लें —Pgs. 85
शुद्ध प्रजनन का व्यवस्थापन —Pgs. 90
नस्ल, पालन-पोषण और प्रजनन संगठन —Pgs. 91
चयन, पशुहत्या प्रतिबंध और गो मांस उद्योग —Pgs. 93
लघु गो संवर्धन —Pgs. 96
4. बैलगाड़ी व्यवस्था तथा पशु ऊर्जा संसाधन —Pgs. 98
बैलगाड़ी प्रथा की स्थिति एवं समस्याएँ —Pgs. 99
तकनीकी और मानवीय समस्याएँ —Pgs. 100
नर नस्लों को बधियाना —Pgs. 104
सींगों की कटाई —Pgs. 105
साज को कड़ाई से कसना —Pgs. 105
अत्यधिक बोझ —Pgs. 105
दाग देना —Pgs. 106
लोहे की छड़ों से हाँकना —Pgs. 106
खुरों की असुरक्षा —Pgs. 106
अपर्याप्त पशु वैद्यकीय सेवाएँ —Pgs. 107
धूप से बचाव नहीं —Pgs. 107
भैंसों के लिए पीने के पानी का अभाव —Pgs. 108
हत्या पर प्रतिबंध —Pgs. 108
ट्रकों में परिवहन —Pgs. 108
‘खुर बाँधकर’ परिवहन —Pgs. 108
मूर्च्छित किए बिना हत्या —Pgs. 109
बैलगाड़ी परिवहन का विकास ः निष्कर्ष —Pgs. 109
5. ‘पवित्र गाय’ और भैंस की समस्या —Pgs. 114
भैंसों का दूध उत्पादन —Pgs. 114
भैंसों का गाभिन काल —Pgs. 115
दूध उत्पादन —Pgs. 115
दूध के घटक तत्त्व —Pgs. 117
दूध उत्पादन का संगठन एवं प्रक्रियाकरण —Pgs. 117
दूध पर प्रक्रिया —Pgs. 126
भैंस का दूध और उसके पदार्थ —Pgs. 129
मांस उत्पादन —Pgs. 130
विकास —Pgs. 130
लाशों का दरजा —Pgs. 131
गो हत्या पर प्रतिबंध और भैंसों का मांस उत्पादन —Pgs. 133
भैंस का ठाँठ उपयोग —Pgs. 138
पूर्व आवश्यकताएँ तथा सीमाएँ —Pgs. 139
आरोग्य विषयक पूर्व आवश्यकताएँ —Pgs. 142
भैंस संवर्धन —Pgs. 146
पशु खाद्य और घास-चारा —Pgs. 148
भैंसों की नस्लें —Pgs. 150
भावी भैंस संवर्धन विकास के लिए सुझाव —Pgs. 152
6. पशुधन विकास तथा बैलगाड़ी प्रणाली का कुल मूल्यमापन-सार —Pgs. 156
7. भारत में चकबंदी कानून —Pgs. 161
1. आंध्र प्रदेश —Pgs. 161
2. असम —Pgs. 163
3. बिहार —Pgs. 165
4. गुजरात —Pgs. 168
5. हरियाणा —Pgs. 170
6. हिमाचल प्रदेश —Pgs. 172
7. जम्मू और कश्मीर —Pgs. 173
8. कर्नाटक —Pgs. 174
9. केरल —Pgs. 177
10. मध्य प्रदेश —Pgs. 181
11. महाराष्ट्र —Pgs. 183
12. उड़ीसा —Pgs. 185
13. पंजाब —Pgs. 187
14. राजस्थान —Pgs. 188
15. तामिलनाडु —Pgs. 191
16. त्रिपुरा —Pgs. 193
17. उत्तर प्रदेश —Pgs. 195
18. पश्चिम बंगाल —Pgs. 198
8. तालिकाएँ —Pgs. 200
तालिका-1 —Pgs. 200
तालिका-2 —Pgs. 202
तालिका-3 —Pgs. 203
तालिका-4 —Pgs. 204
तालिका-5 —Pgs. 205
तालिका-6 —Pgs. 206
तालिका-7 —Pgs. 207
तालिका-8 —Pgs. 208
तालिका-9 —Pgs. 209
तालिका-10 —Pgs. 210
तालिका-11 —Pgs. 211
तालिका-12 —Pgs. 213
तालिका-13 —Pgs. 215
तालिका-14 —Pgs. 217
तालिका-15 —Pgs. 219
तालिका-16 —Pgs. 221
तालिका-17 —Pgs. 222
तालिका-18 —Pgs. 223
तालिका-19 —Pgs. 225
तालिका-20 —Pgs. 227
तालिका-21 —Pgs. 229
तालिका-22 —Pgs. 230
तालिका-23 —Pgs. 231
9. उपसंहार —Pgs. 232
महत्त्वपूर्ण द्रष्टव्य संदर्भ —Pgs. 234