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यह कोश सामाजिक विज्ञानों—मानव विज्ञान, समाज विज्ञान, मनोविज्ञान, धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, इतिहास एवं कला को अपने में समेटे हुए है। (विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी को अलग खंड के रूप में प्रस्तुत किया गया है।) इसमें हमने उन कतिपय महापुरुषों का संक्षिप्त जीवन-परिचय भी सम्मिलित किया है, जिन्होंने इतिहास तथा समाज को गति प्रदान की है। धार्मिक संप्रदायों, उनके मान्य ग्रंथों एवं उनके प्रवर्तकों के विषय में भी संक्षिप्त विवरण दिए गए हैं। इसमें आदि से अंत तक भारतीय योगदान को दृष्टि से ओझल नहीं होने दिया गया है। यह ‘सचित्र सामाजिक विज्ञान विश्वकोश’ कोशों की शैली और विषय-वस्तु से कुछ हटकर लगे तो कोई आश्चर्य की बात न होगी।
हम उन अनेक पुस्तकों एवं संदर्भ ग्रंथों के लेखकों और संपादकों के प्रति अपना आभार व्यक्त करना चाहेंगे जिनसे प्रेरणा प्राप्त करके सामग्री का चयन, संकलन एवं लेखन पूरा किया गया है।
आशा है, यह ‘सचित्र सामाजिक विज्ञान विश्वकोश’ इक्कीसवीं सदी के आबालवृद्ध-वनिताओं को ज्ञानवर्धक लगेगा। यदि इसमें यत्र-तत्र त्रुटियाँ मिलें तो पाठक जन उन्हें सुधारने की सदाशयता बरतेंगे।
डॉ. शिवगोपाल मिश्र ( जन्म : सन् 1931) विज्ञान-जगत् के ख्याति -प्राप्त लेखक हैं । आपने इलाहबाद विश्वविद्यालय से एम.एस-सी. ( कृषि रसायन) तथा डी. फिल्. की उपाधियाँ प्राप्त करने के बाद इसी विश्वविद्यालय में 1956 से 1991 तक क्रमश: लेक्चरर, रीडर, प्रोफेसर और निदेशक पदों पर अध्यापन और शोधकार्य का निर्देशन किया । सूक्ष्म मात्रिक तत्त्व, फास्फेट, पादप रसायन, अम्लीय प्रदूषण, जैव उर्वरक, भारतीय कृषि का विकास, ऊर्जा, जीवनोपयोगी सूक्ष्म मात्रिक तत्त्व नामक पुस्तकों का प्रणयन आपकी महत्वपूर्ण उपलब्धि है । आपकी कई पुस्तकें पुरस्कृत भी हो चुकी हैं । आपने मृदा प्रदूषण, वायु प्रदूषण तथा जल प्रदूषण के विषय में अनेकानेक शोधपरक निबंध प्रकाशित किए हैं । प्रारंभ से ही हिंदी में रुचि होने के कारण 1952 से आप विज्ञान परिषद् प्रयाग से संबद्ध रहे हैं । आपने कई वर्षों तक मासिक पत्रिका ' विज्ञान ' का संपादन किया है । आपने ' भारत की संपदा ' का -संपादन तथा ' रसायन विज्ञान कोश ' का लेखन किया है ।
आपकी हिंदी सेवाओं के लिए 1993 में आपको ' डॉ. आत्माराम पुरस्कार ' से सम्मानित किया गया । विज्ञान परिषद् तथा इंडियन सोसाइटी ऑफ सॉयल साइंस के आप आजीवन सदस्य हैं ।