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प्रस्तुत पुस्तक जर्मनी की प्रसिद्ध लोककथाओं के हिंदी अनुवाद का संकलन है । प्रख्यात जर्मन लेखक बूडर ग्रीम की इन प्रसिद्ध लोककथाओं को हिंदी में प्रस्तुत करने का मुख्य उद्देश्य भारतीय पाठकों का जर्मनी की संस्कृति, वहाँ की परंपराओं तथा लोक-जीवन की रोचक जानकारी प्रदान करना है ।
यह पुस्तक पाठकों को जर्मनी की भौगोलिक, सामाजिक, ऐतिहासिक व सांस्कृतिक जानकारी तो प्रदान करेगी ही, उनका मनोरंजन भी करेगी।
जन्म : सन् 1944 में काशीपुर, उत्तर प्रदेश में ।
शिक्षा : जयपुर विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र में एम. ए., हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से एम. एड. तथा केंद्रीय अंग्रेजी और विदेशी भाषा संस्थान, हैदराबाद से जर्मन भाषा में एम.ए.। दिल्ली विश्वविद्यालय से 'भारत- जर्मनी के सांस्कृतिक संबंध' शोधकार्य पर एम. फिल.। केरल विश्वविद्यालय से पी -एच.डी. की उपाधि ।
सन् 1969 में पंजाब विश्वविद्यालय के सायंकालीन महाविद्यालय, शिमला में जर्मन भाषा के प्राध्यापक के रूप में अध्यापन कार्य प्रारंभ किया। सन् 1973 में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के विदेशी विभाग में जर्मन भाषा तथा जर्मन साहित्य का अध्यापन ।
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले पर जर्मन भाषा में लिखित पुस्तक का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद तथा जर्मन भाषा की कुछ चुनी हुई लोककथाओं का हिंदी अनुवाद 'निडर राजकुमार' पुस्तक के रूप में ।