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"घरौंदा एक तरह से परिवार और समाज द्वारा बनाए गए दबावों पर प्रकाश डालता है। कैसे एक व्यक्ति अपने घर और परिवार के भीतर शांति और खुशी की खोज करता है, जबकि बाहरी और आंतरिक दबाव उसे परेशान करते रहते हैं। राघव ने इसमें यह दिखाया है कि एक व्यक्ति को अपने घर और रिश्तों की संरचना को बनाए रखने में कई बार समझौते करने पड़ते हैं, और यह संघर्ष जीवन के हिस्से के रूप में सामने आता है।
रंगेय राघव ने इस उपन्यास में रिश्तों की जटिलता को भी स्पष्ट किया है। जहां एक ओर परिवार का प्रेम और सहारा होता है, वहीं दूसरी ओर रिश्तों में असहमति और तनाव भी दिखाई देता है। यह उपन्यास यह बताता है कि घर का आकार और बाहरी स्थिति केवल भौतिक रूप से ही महत्वपूर्ण नहीं होती, बल्कि भीतर के रिश्तों का सामंजस्य और प्यार भी उतना ही मायने रखता है।"