घोघो रानी कित्ता पान
प्रस्तुत रचना रिपोर्ताजीय शैली की कलात्मक कृति है, जो अपनी कथा तथा उपकथाओं के छोटे-छोटे द्वीप बनाती आधुनिक तथा पौराणिक बिंबों का आदर्शोन्मुख वृत्त-चित्र उपस्थित करती है। रचना के अंतिम भाग में लोककथाओं के नायक अपने-अपने सुकर्मों की ध्वजा उठाए समाज के सिरमौर बने हुए हैं, जिसमें लोकनायक, लोरिक तथा लोकदेवता विशुराउत, कारूखिरहरि एवं दीनाभदरी के नाम शुमार में आते हैं, जिन्हें लेखक ने अपनी भाषिक पकड़ से बेहद रोचक बना दिया है। प्रस्तुत रचना में किस्सागोई तो है ही, लोकजीवन के विविध रंगों के साथ-साथ रागात्मक संवेदना भी उपस्थित है।
रचना के प्रथम भाग में कोसी नदी के उद्गम, जल-ग्रहण क्षेत्र, प्रवाह मार्ग, इसकी विध्वंसक परिवर्तनशीलता, विभिन्न धाराएँ, गंगा में संगमन इत्यादि भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक स्थितियों के रेखांकन के साथ-साथ इसकी विनाशलीला का भी विस्तार से वर्णन है।
कोसी क्षेत्र संगीत-कला का भी गढ़ रहा है, जो सहरसा के अंतर्गत पंचगछिया घराने के नाम से जाना जाता है। मांगन कामति पंचगछिया राजदरबार के बेजोड़ ठुमरी गायक थे। उनकी प्रसिद्धि बिहार से बाहर तक फैली हुई थी। पं. ओंकारनाथ ठाकुर, विनायकराव पटवर्द्धन, पं. जशराज, फैयाज खाँ जैसे दिग्गज संगीतज्ञों ने उनकी प्रशंसा की है। कहा जाता है कि एक महफिल में सुप्रसिद्ध गायिका अखतरीबाई फैजाबादी (बेगम अख्तर) ने जब मांगन के बोल सुने तो बोल पड़ीं—‘‘अरे भाई, जिंदा रहने दोगे या नहीं!’’ क्या मधुर एवं जादुई आवाज थी उनकी। तभी तो वे पंचगछिया राजदरबार के तानसेन कहलाते थे।
शालिग्राम
जन्म 21 मई, 1934—बिहार का प्रलयकारी भूकंप का साल—मुँगेर (अब खगडि़या) जिला अंतर्गत पचौत गाँव में। शैक्षणिक काल भागलपुर में बीता; किंतु साहित्यिक विरासत सहरसा की धरती पर मिली, जहाँ ‘पाही आदमी’ कहानी-संग्रह का प्रकाशन हुआ, जिसकी बाबा नागार्जुन, रेणु तथा वासुदेव शरण अग्रवाल ने भूरि-भूरि प्रशंसा की थी।
60 के दशक से ही देश की प्रायः सभी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में उनकी रचनाएँ छपती रहीं। बिहार एवं दिल्ली के आकाशवाणी केंद्रों से वार्त्ताएँ तथा भिन्न-भिन्न विधा की रचनाओं का प्रसारण भी होता रहा। किसी भी प्रकार की सरकारी तथा गैर-सरकारी सेवाओं से दूर रहते हुए जीवन-यापन का साधन उनके गाँव का कृषि-फार्म रहा।
प्रकाशित रचनाएँ : ‘पाही आदमी’ तथा ‘नई शुरुआत’ (कहानी-संग्रह), ‘सांघाटिका’ तथा ‘आँगन में झुका आसमान’ (कविता-संग्रह), ‘किनारे के लोग’ तथा ‘कित आऊँ, कित जाऊँ’ (उपन्यास), ‘शालिग्राम की सात आंचलिक कहानियाँ’, ‘देखा दर्पण, अपना तर्पण’ आत्मकथा, ‘अटपट बैन’ (रिपोर्ताज-संग्रह), ‘पत्रों के द्वीप में’ साहित्यकारों के पत्र, ‘घोघो रानी कित्ता पानी’।
संपर्क : ‘शालिग्राम निवास’, अक्षरा, चित्रगुप्तनगर-वार्ड 30, सहरसा (पूर्व), पिन-852201