Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Giriraj Kishore ki lokpriya kahaniyan   

₹250

Out of Stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Giriraj Kishore
Features
  • ISBN : 9789351862727
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : Ist
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Giriraj Kishore
  • 9789351862727
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • Ist
  • 2016
  • 184
  • Hard Cover

Description

गिरिराज किशोर की कहानियों की यह विशेषता है कि इनमें समकालीन जीवन को समझने-बूझने के सूत्र प्राप्त होते हैं। ये सूत्र जीवन-जगत् के भविष्य को भी इंगित करते हैं। इन सूत्रों में रचना समय के राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक, उच्च तकनीकी (मोबाइल मैसेज संस्कृति) के श्वेत-श्यामल पक्षों, भाषिक क्षेत्रों के आंतरिक इतिहास को भी स्पष्ट देखा-परखा जा सकता है। सामयिकता से भरपूर तथा समय का अतिक्रम करने की यह क्षमता कृतिकार के सृजन को अमरत्व की ओर अग्रसर करती है।
प्रस्तुत संग्रह की कहानियों में कथाकार ने बृहत्तर समाज के कई रूपों, स्थितियों के वैयक्तिक एवं सार्वजनिक  चित्र अंकित किए हैं। इस अंकन में बारीकी के साथ उन अदृश्य कारकों को भी प्रतीकात्मक ढंग से उल्लिखित किया है, जो मनुष्य और समाज की अंतर्क्रिया के फलस्वरूप अभौतिक संस्कृति को बहुत धीमे-धीमे क्षरित करते सांस्कृतिक और शाश्वत मूल्यों के अवमूल्यन अथवा पूर्णक्षरण को रेखांकित करते हुए क्रमशः अर्वाचीन मनुष्य और समाज को, प्राचीन मनुष्य और समाज से पूर्णतः पृथक् करते, सर्वथा बदले चेहरे में प्रस्तुत करके सांस्कृतिक विलंबना और विडंबना को व्याख्यायित करते हैं। 
कथा-रस से भरपूर ये कहानियाँ मनोरंजन के साथ-साथ समाज-जीवन की विसंगतियों-विद्रूपताओं को उजागर करती हैं, जिससे ये पाठक को अपनी सी लगती हैं।

_______________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________

अनुक्रम

संपादकीय — Pgs. 5

1. अकेला साथी — Pgs. 11

2. एक ईश्वर की मौत — Pgs. 15

3. पगडंडियाँ — Pgs. 20

4. नया चश्मा — Pgs. 30

5. परछाइयाँ — Pgs. 37

6. निमंत्रण — Pgs. 46

7. रिश्ता — Pgs. 54

8. चिमनी — Pgs. 68

9. धर्मग्रंथ — Pgs. 88

10. बाहर एक सुहानापन था — Pgs. 106

11. वीरगति — Pgs. 121

12. घोड़े का नाम घोड़ा — Pgs. 131

13. वल्द रोज़ी — Pgs. 142

14. मम्मी सो रही है — Pgs. 153

15. वे नहीं आए — Pgs. 160

16. सुजित — Pgs. 173

17. कविताएँ — Pgs. 179

 

The Author

Giriraj Kishore

जन्म : 8 जुलाई, 1937, मुजफ्फरनगर (उ.प्र.)।
शिक्षा : मास्टर ऑफ सोशल वर्क (1960), समाज विज्ञान संस्थान, आगरा।
प्रकाशित साहित्य : नीम के फूल, चार मोती बेआब, पेपरवेट, रिश्ता और अन्य कहानियाँ, शहर दर शहर, हम प्यार कर लें, जगत्तारनी एवं अन्य कहानियाँ, गाना बड़े गुलाम अली खाँ का, वल्दरोजी, यह देह किसकी है, हमारे मालिक  सबके मालिक (कहानी-संग्रह), ‘दुशमन और दुश्मन’ समग्र कहानियाँ पाँच खंडों में। लोग, चिडि़याघर, इंद्र सुनें, दावेदार, तीसरी सत्ता, यथा प्रस्तावित, परिशिष्ट, असलाह, अंतर्ध्वंस, ढाई घर, यातनाघर (उपन्यास)। प्रसिद्ध उपन्यास पहला गिरमिटिया (मराठी,  गुजराती, उडि़या और अंग्रेजी में अनुवाद, कन्नड़ में भी शीघ्र प्रकाश्य) और बा (कस्तूरबा पर पहला उपन्यास);  नरमेध, प्रजा ही रहने दो, चेहरे-चेहरे किसके चेहरे, केवल मेरा नाम लो, जुर्म आयद, काठ की तोप, गांधी को फाँसी दो (नाटक), ‘मोहन का दुःख’ बच्चों के लिए लघु नाटक; संवादसेतु, लिखने का तर्क, सरोकार, कथ-अकथ, सप्तपर्णी, एक जन-भाषा की त्रासदी, जन-जनसत्ता, यह देश बिराना (लेख/निबंध)।
सम्मान : भारतेंदु सम्मान, बीर सिंह देवजू राष्ट्रीय सम्मान, साहित्य अकादेमी पुरस्कार, साहित्य भूषण पुरस्कार, शतदल सम्मान, जनवाणी सम्मान।

 

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW