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Gita Kahati Hai "" गीता कहती है"" (सम्पूर्ण गीता का मुक्तकानुवाद) Complete Translation Book in Hindi- PB
कहते हैं, किस्मत से अधिक और समय से पहले किसी को कुछ नहीं मिलता। कविताएँ लिखते-पढ़ते लगभग 37 वर्ष हो गए। खूब प्रसिद्धि मिली, खूब सम्मान मिले, लेकिन आत्माको संतुष्टि नहीं मिली। मन कस्तूरी मृग की तरह इधर-उधर भागता फिर रहा था। मुझे हर क्षण ऐसा लग रहा था, जैसे—अभी कुछ अधूरा है, शायद प्रभु मुझसे कुछ विशेषकराना चाहते थे।
प्रथमअध्याय को पढ़ा तो और भी रस बढ़ने लगा, फिर उसके सार की बारीकियाँ पढ़ीं, तो दिमाग की नसें खुलने लगीं। हमें लगा, यह तो बहुत दिल में उतर रही थी। मन ने एक पल सोचा कि गीता जब इतनी आसान थी, तो हमने अब तक पढ़ी क्यों नहीं थी? अब दिमाग तेजी से कामकर रहा था। हमने कुछ ठहरकर सोचा किजब सुदर्शन महाराज गीता को इतना आसान कर सकते हैं, फिर तो मैं इसको और सुगम, सरल और सहज कर सकता हूँ। अब मैंने निश्चय कर लिया कि मैं गीता के समस्तश्लोकों का मुक्तकों में अनुवाद करूँगा।