Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Gita-Mata (PB)   

₹200

In stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Mahatma Gandhi
Features
  • ISBN : 9789353229382
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more

More Information

  • Mahatma Gandhi
  • 9789353229382
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2020
  • 208
  • Soft Cover

Description

महात्मा गांधीजी ने गीता को ‘माता’ की संज्ञा दी थी। उसके प्रति उनका असीम अनुराग और भक्ति थी। उन्होंने गीता के श्लोकों का सरल-सुबोध भाषा में तात्पर्य दिया, जो ‘गीता-बोध’ के नाम से प्रकाशित हुआ। उन्होंने सारे श्लोकों की टीका की और उसे ‘अनासक्तियोग’ का नाम दिया। कुछ भक्ति-प्रधान श्लोकों को चुनकर ‘गीता-प्रवेशिका’ पुस्तिका निकलवाई। इतने से भी उन्हें संतोष नहीं हुआ तो उन्होंने ‘गीता-पदार्थ-कोश’ तैयार करके न केवल शब्दों का सुगम अर्थ दिया, अपितु उन शब्दों के प्रयोग-स्थलों का निर्देश भी किया।
गीता के मूल पाठ के साथ वह संपूर्ण सामग्री प्रस्तुत पुस्तक में संकलित है। गीता को हमारे देश में ही नहीं, सारे संसार में असाधारण लोकप्रियता प्राप्त है। असंख्य व्यक्ति गहरी भावना से उसे पढ़ते हैं और उससे प्रेरणा लेते हैं। जीवन की कोई भी ऐसी समस्या नहीं, जिसके समाधान में गीता सहायक न होती हो। उसमें ज्ञान, भक्ति तथा कर्म का अद्भुत समन्वय है और मानव-जीवन इन्हीं तीन अधिष्ठानों पर आधारित है।
महात्मा गांधी की कलम से प्रसूत गीता पर एक संपूर्ण पुस्तक, जो जीवन के व्यावहारिक पक्ष पर प्रकाश डालकर पाठक की कर्मशीलता को गतिमान करेगी।

_____________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________

अनुक्रम

प्रकाशकीय —Pgs. 5

गीता-माता —Pgs. 7

गीता-बोध

भूमिका —Pgs. 13

प्रास्ताविक —Pgs. 15

गीता-बोध —Pgs. 19

अनासक्तियोग

प्रस्तावना —Pgs. 65

• अर्जुनविषादयोग —Pgs. 73

• सांख्ययोग —Pgs. 81

• कर्मयोग —Pgs. 94

• ज्ञानकर्मसंन्यासयोग —Pgs. 104

• कर्मसंन्यासयोग —Pgs. 113

• ध्यानयोग —Pgs. 120

• ज्ञानविज्ञानयोग —Pgs. 128

• अक्षरब्रह्म‍योग —Pgs. 133

• राजविद्याराजगुह्य‍योग —Pgs. 139

• विभूतियोग —Pgs. 145

• विश्वरूपदर्शनयोग —Pgs. 152

• भक्तियोग —Pgs. 164

• क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग —Pgs. 168

• गुणत्रयविभागयोग —Pgs. 175

• पुरुषोत्तमयोग —Pgs. 181

• दैवासुरसपद्विभागयोग —Pgs. 186

• श्रद्धात्रयविभागयोग —Pgs. 191

• संन्यासयोग —Pgs. 196

The Author

Mahatma Gandhi

2 अक्‍तूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जनमे मोहनदास करमचंद गांधी विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्‍त कर बैरिस्टर बने। उन्होंने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए आजादी की लड़ाई में सत्याग्रह और अहिंसा को अपना अस्त्र बनाया।
गांधीजी ने अपने दक्षिण अफ्रीका प्रवास में ‘फीनिक्स’ आश्रम की स्थापना की तथा वहाँ से ‘इंडियन ओपिनियन’ अखबार निकाला। स्वदेश लौटकर आजादी की लड़ाई के पथ-प्रदर्शन बने। उन्होंने ‘हरिजन’ सहित कई समाचार-पत्रों का संपादन किया तथा अनेक पुस्तकें लिखीं। बापू ने ‘सत्याग्रह’, ‘सविनय अवज्ञा’, ‘असहयोग आंदोलन’ तथा ‘अंग्रेजो, भारत छोड़ो’ आंदोलनों का नेतृत्व कर भारत को स्वतंत्र कराया।
समाज-सुधारक और विचारक के रूप में भी उनका योगदान अनुपम है। जातिवाद, छुआछूत, परदा-प्रथा, बहु-विवाह, विधवाओं की दुर्दशा, नशाखोरी और सांप्रदायिक भेदभाव जैसी अनेक सामाजिक बुराइयों के सुधार हेतु रचनात्मक संघर्ष किया और राष्‍ट्रीय एकता के लिए हिंदी को ‘राष्‍ट्रभाषा’ घोषित किया।
स्मृतिशेष : 30 जनवरी, 1948।

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW