₹250
"गीता’ वह ईश्वरीय वाणी है, जिसमें धर्म संवाद के माध्यम से—मैं कौन हूँ? यह देह क्या है? इस देह के साथ क्या मेरा आदि और अंत है? देह त्याग के पश्चात् क्या मेरा अस्तित्व रहेगा? यह अस्तित्व कहाँ और किस रूप में होगा? मेरे संसार में आने का क्या कारण है? मेरे देह त्यागने के बाद क्या होगा, कहाँ जाना होगा, इन सभी के प्रश्नों के उत्तर भगवान् श्रीकृष्ण ने बड़े सहज ढंग से दिए हैं।
भगवान श्रीकृष्ण ने स्वभावगत कर्म में लगे रहने को ‘श्रेष्ठ योग’ कहा है। उनके अनुसार, कर्म अवश्यंभावी है। बिना कर्म के मुक्ति पाना तो दूर, मनुष्य बनना भी कठिन है। स्वाभाविक कर्म करते हुए बुद्धि का अनासक्त होना सरल है।
इस प्रकार, ‘गीता’ ज्ञान का भंडार है। इसमें सात सौ श्लोक और अठारह अध्याय हैं। इसके उपदेश को सरलता और सहजता से समझाने के लिए मैंने इसे अध्याय-दर- अध्याय प्रश्नोत्तरी फॉरमेट में प्रस्तुत किया है, ताकि बड़ों के साथ-साथ स्कूल- कॉलेज के विद्यार्थी भी क्विज प्रतियोगिता के माध्यम से इसके संदेश को खेल-खेल में ही ग्रहण कर लें।"
ममता मेहरोत्रा
शिक्षा : एम.एस-सी. (प्राणी विज्ञान)।
कृतित्व : ‘अपना घर’, ‘सफर’, ‘धुआँ-धुआँ है जिंदगी’ (लघुकथा-संग्रह), ‘महिला अधिकार और मानव अधिकार’, ‘शिक्षा के साथ प्रयोग’, ‘विद्यार्थियों के लिए टाइम मैनेजमेंट’, ‘विश्वासघात तथा अन्य कहानियाँ’, ‘जयप्रकाश तुम लौट आओ’ तथा अंग्रेजी में ‘We Women’, ‘Gender Inequality in India’, ‘Crimes Against Women in India’, ‘Relationship & Other Stories’ & ‘School Time Jokes’ पुस्तकें प्रकाशित। RTE Act पर लिखी पुस्तक ‘शिक्षा का अधिकार’ काफी प्रसिद्ध हुई और अनेक राज्य सरकारों ने इस पुस्तक को क्रय किया है। उनकी पुस्तकें मैथिली में भी प्रकाशित हो चुकी हैं। कुछ संक्षिप्त डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का भी निर्माण किया है।
‘सामयिक परिवेश’ एवं ‘खबर पालिका’ पत्रिकाओं का संपादन। अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं से संबद्ध।
संप्रति : निशक्त बाल शिक्षा एवं महिला अधिकारों से संबंधित कार्यों में संलग्न।