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गीता भारतीय संस्कृति की आधारशिला है। इसमें अत्यंत प्रभावशाली ढंग से दैनंदिन जीवन से जुड़े बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया है। यह संपूर्ण मानव जाति के उद्धार के लिए है। इसका अध्ययन करने से हम अपने जीवन के किसी भी प्रकार के कष्ट और समस्याओं का समाधान ढूँढ़ सकते हैं। यह चरित्र-निर्माण का सबसे व्यावहारिक और उत्तम शास्त्र है।
गीता जीवन की यात्रा पर निकलते समय साथ रखने का कलेवा है। बच्चे की उँगली पकड़कर उसे स्कूल में ले जानेवाली माता गीता है।
यह पुस्तक जनसाधारण को गीता क्या बताती है, इसे समझाने के लिए लिखी गई है। गीतावाचन पुण्य प्राप्त करने के लिए नहीं, अपितु इसके संदेश को जीवन में उतारने का माध्यम है।
श्रीमद्भगवद्गीता के ज्ञान-सागर में से कुछ सूत्ररत्न चुनकर उन्हें सरल-सुबोध भाषा में प्रस्तुत करने का एक विनम्र प्रयास है यह पुस्तक।
बच्चे-बड़े-स्त्री-पुरुष—सबके लिए समान रूप से उपयोगी और महत्त्वपूर्ण है भगवद्गीता। इसका नियमित अध्ययन आपको जीवन के पथ पर मर्यादित ढंग से सफलतापूर्वक चलने के सूत्र बताएगी।
विनय पत्राले मूल नागपुर के निवासी हैं। मेकैनिकल इंजीनियरिंग एवं कॉस्ट अकाउंटेंसी की पढ़ाई करने के पश्चात् उन्होंने तीन वर्ष तक हिंदुस्तान मोटर्स में काम किया।
रा. स्व. संघ के तत्कालीन सरसंघचालक श्री बालासाहब देवरस के आवाहन को प्रतिसाद देते हुए वह घर छोड़कर संघ के प्रचारक बने। 21 वर्ष के प्रदीर्घ समय तक उन्होंने गुजरात एवं महाराष्ट्र में समाज संगठन का कार्य किया। वह राष्ट्रीय एकात्मता पर कार्य करनेवाली संस्था ‘भारत-भारती’ के संस्थापक अध्यक्ष हैं। यह संस्था एक शहर में रहनेवाले अन्यान्य प्रांतों का प्रतिनिधित्व करनेवाले विभिन्न भाषा-भाषी बंधु-भगिनीयों को एक-दूसरे से जोड़ती है।
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम के विचारों से प्रेरणा लेकर प्रबंधन कौशल का प्रशिक्षण करनेवाली ‘इग्नायटेड माइंड्स’ संस्था के अध्यक्ष हैं।
9 पुस्तकों के यशस्वी लेखक हैं और इनकी पुस्तकें मराठी, गुजराती एवं अंग्रेजी भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं। वह संस्कृत भाषा में प्रवचन कर सकते हैं। ट्विटर एवं यूट्यूब पर इनके वीडियो देखे जा सकते हैं। जापानी उपचार पद्धति ‘रेकी’ में निष्णात हैं